नई दिल्ली: धनतेरस का पर्व हर वर्ष दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है। इसे धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, जो आयुर्वेद के देवता भी माने जाते हैं। उनके साथ लक्ष्मी माता और कुबेर देव की भी पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन नए बर्तन, सोना, चांदी या घर के लिए कुछ न कुछ खरीदने की परंपरा है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की बढ़ोतरी होती है।
धनतेरस का मुख्य उद्देश्य घर में स्वास्थ्य, धन, और सुख-समृद्धि की कामना करना है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है और लक्ष्मी जी की कृपा से घर में धन की कमी नहीं रहती। धनतेरस के दिन बर्तन या धातु की कोई वस्तु खरीदने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और यह समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
पंचांग के मुताबिक, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 30 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। ऐसे में 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा।
1. साफ-सफाई: पूजा स्थल और घर की सफाई से शुरू करें। माना जाता है कि सफाई से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है।
2. दीप जलाएं: द्वार पर एक दीपक जलाएं जिसे रात भर जलने दें। इससे घर के द्वार पर लक्ष्मी जी का स्वागत माना जाता है।
3. धन्वंतरि भगवान की पूजा: एक चौकी पर धन्वंतरि भगवान, लक्ष्मी जी और कुबेर देव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
4. कलश स्थापना: पानी से भरे हुए तांबे या पीतल के बर्तन में कुछ चावल, सुपारी, और एक सिक्का डालें और उस पर नारियल रखें।
5. फूल और धूप-दीप: फूल, धूप, दीपक और अगरबत्ती से भगवान की आरती करें।
6. मंत्र जाप: भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी माता और कुबेर देव के मंत्र का जाप करें। लक्ष्मी जी के मंत्र “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” का 11 बार उच्चारण करें।
7. भोग अर्पित करें: पूजा के बाद भगवान को मिठाई या फल का भोग लगाएं।
धनतेरस की पूजा में भगवान धन्वंतरि और लक्ष्मी माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन की पूजा से घर में सुख-शांति बनी रहती है और जीवन में संपत्ति की वृद्धि होती है। इसलिए धनतेरस का पर्व हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है और इसे हर घर में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
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