नई दिल्ली: अजा एकादशी का पर्व हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को भगवान विष्णु के विशेष पूजन और उपासना का दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी के व्रत और पूजा से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और वह मोक्ष की प्राप्ति करता है। इस वर्ष अजा एकादशी आज 29 अगस्त 2024 को मनाई जा रही है, और इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भक्तजनों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी।
अजा एकादशी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को पूर्व जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और वह मोक्ष की प्राप्ति करता है। यह एकादशी विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है जो जीवन में कष्टों और दुखों से मुक्ति चाहते हैं। अजा एकादशी व्रत की महिमा भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी। इस व्रत को करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। पूजा का सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है, जो प्रातः 4 बजे से 6 बजे तक रहता है। इस समय पूजा करने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं। पूजा के दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। पूजा के पश्चात प्रसाद के रूप में पंचामृत और फल वितरण करें।
जानकारी केल अनुसार एकादशी का व्रत की शुरुआत 29 अगस्त यानी आज से हो चुकी है। एकादशी की तिथि पंचांग अनुसार आरंभ हो चुकी है। दोपहर 2 बजकर 52 मिनट से 28 अगस्त के दिन यह तिथि शुरू हो चुकी है। एकादशी व्रत में पारण का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी भक्त एकादशी व्रत का पारण नियम पूर्वक करता है तो इसका लाभ उसको अवश्य मिलता है, परंतु जो इसके पारण का पालन नियम पूर्वक न किया जाए तो इस व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता है। अजा एकादशी व्रत का पारण पंचांग के अनुसार 30 अगस्त 2024 को प्रात: 7 बजकर 49 मिनट से लेकर प्रात: 7 बजकर 49 मिनट से प्रात: 8 बजकर 31 मिनट के आस-पास तक किया जा सकता है। अजा एकादशी के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय प्रात: 07 बजकर 49 मिनट रहने वाला है।
1. स्नान और शुद्धिकरण: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। इस दिन उपवास रखने का संकल्प लें और मन को शांत रखें।
2. पूजा स्थल की तैयारी: भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को साफ स्थान पर रखें। पूजा स्थल पर पीला वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु को विराजमान करें।
3. दीप प्रज्वलन: भगवान विष्णु की पूजा से पहले दीपक जलाएं। तिल का तेल या घी का दीपक प्रज्वलित करना शुभ माना जाता है।
4. भगवान विष्णु का ध्यान: भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए उन्हें पुष्प, फल, धूप, दीप अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और विष्णु जी के 108 नामों का उच्चारण करें।
5. एकादशी व्रत कथा: अजा एकादशी की व्रत कथा सुनें या पढ़ें। इस कथा में राजा हरिश्चंद्र की कथा का वर्णन है, जिनके जीवन में इस व्रत के प्रभाव से महान परिवर्तन आया था।
6. आरती और भजन: भगवान विष्णु की आरती करें और विष्णु जी के भजनों का गायन करें। आरती के बाद प्रसाद का वितरण करें।
7. दान और दक्षिणा: पूजा के बाद ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान दें। अन्न, वस्त्र, और दक्षिणा का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
अजा एकादशी के दिन उपवास करने के कई नियम होते हैं। इस दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। फल, दूध और फलों का सेवन किया जा सकता है। उपवास के दौरान क्रोध, अहंकार, और गलत विचारों से दूर रहने का प्रयास करें। व्रत के दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें और उनके नाम का जाप करें। इस दिन तामसिक भोजन, जैसे प्याज, लहसुन, और मांसाहार से बचना चाहिए। साथ ही, घर में शांति बनाए रखें और किसी भी प्रकार के वाद-विवाद से दूर रहें।
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