नई दिल्ली: Shab E Barat: तमाम मुसलमानों को साल भर रमज़ान का बेसब्री से इंतज़ार रहता है। रमज़ान मुस्लिमों के लिए सबसे मुकद्दस (पाक) महीना माना गया है। आपको बता दें, रमज़ान से पहले के महीने का शाबान का चाँद नज़र आ गया है। आज मंगलवार की शाम को शाबान का चाँद नज़र आया। इसी […]
नई दिल्ली: Shab E Barat: तमाम मुसलमानों को साल भर रमज़ान का बेसब्री से इंतज़ार रहता है। रमज़ान मुस्लिमों के लिए सबसे मुकद्दस (पाक) महीना माना गया है। आपको बता दें, रमज़ान से पहले के महीने का शाबान का चाँद नज़र आ गया है। आज मंगलवार की शाम को शाबान का चाँद नज़र आया। इसी महीने शब-ए-बरात (Shab E Barat) भी मनाया जाता है। अब आज चाँद नज़र आने से शब-ए-बरात की तारीख़ भी तय हो गई है। उलेमाओं की मानें तो इस साल शब-ए-बरात 7 मार्च को मनाई जाएगी और इस दिन मंगलवार का रोज़ पड़ रहा है।
मालूम हो कि रमज़ान से पहले का जो महिना होता है उसे शाबान कहा जाता है। ऐसे में इसी शाबान महीने की 15 रात को शब-ए-बरात कहा जाता है। इस रात के दरमियान अल्लाहताला अपने बन्दों के तमाम गुनाहों को माफ़ कर देता है। कहने का मतलब है कि इन रात जो कोई भी पाक ज़हन से अल्लाह से अपने गुनाहों की मगफिरत (माफ़ी) माँगता है तो उस शख़्स को माफ़ कर दिया जाता है।
आपको बता दें, इस बात का ज़िक्र हदीस (इस्लाम में क़ुरआन-ऐ -पाक के बाद सबसे पाक और अहम किताब) में किया गया है। यही नहीं, हदीस में एक और बात कही गई है कि इसी रात को दुनिया में रहने वाले तमाम लोगों का फ़ैसला होता है। जन्म, इंतक़ाल और आपके हिस्से में रिज़्क़ (कमाई) वगैरह का फ़ैसला भी इसी रात होता है। इसी वजह से इस रात की अहमियत इस्लाम मज़हब में काफ़ी ज़्यादा है। ऐसे में ज़्यादातर मुसलमान इस दिन रातभर जागकर ख़ुदा की इबादत करते हैं।
आपको बता दें, शब-ए-बरात के बाद से रमज़ान की तैयारी शुरू होती है। शाबान महीने के बाद दिखने वाला चाँद पाक रमजान का चाँद होता है। बीते दिनों की एक सऊदी वेबसाइट के मुताबिक़ इस साल सऊदी अरब में रमजान का पहला रोज़ा 23 मार्च को होगा। इससे एक दिन पहले यानी कि 22 मार्च की शाम चाँद देखा जाएगा। भारत और आसपास के मुल्कों में 23 मार्च को चाँद नज़र आएगा और इस हिसाब से 24 मार्च को रमज़ान का पहला रोज़ा होगा।
अरब के शाबान महीने के बाद आने वाला रमजान का महीना मुसलमानों के लिए बेहद ख़ास और पाक माना जाता है। इस महीने में सभी मुसलमान 30 दिन रोजा रखते हैं। इन रोज़े में वह सूरज निकलने से पहले खाते हैं और फिर सूरज ढलने के कुछ देर बाद तक कुछ नहीं खाते, यहाँ तक कि पानी का बूँद भी नहीं पीते। सभी मुसलमान रमजान के महीने का बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि इस महीने को मगफिरत का महीना भी कहा जाता है।