नई दिल्ली: त्योहारों का सीज़न चल रहा है, नवरात्रि का अभी समापन हुआ है और कुछ ही दिनों में दिवाली आने वाली है। दिवाली का उत्साह अभी से देखने को मिल रहा है।वहीं, हर महीने में पूर्णिमा आती है, लेकिन इन सब में शरद पूर्णिमा का महत्व सबसे ज्यादा है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, शरद पूर्णिमा बहुत ख़ास होती है, वहीं पौराणिक ग्रंथों में भी शरद पूर्णिमा का उल्लेख किया गया है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नज़दीक होता है, ऐसे में इस दिन चाँद के दर्शन करना तो बहुत ही शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं। वहीं कहां जाता है कि ये दिन गर्भवती महिला के शुभ होता है।
शरद पूर्णिमा का दिन गर्भवती महिलाओं के शुभ माना जाता है। अगर गर्भवती हल्के-फुल्के कपड़े पहनकर शरद पूर्णिमा की चाँदनी में टहलती है तो चन्द्र-किरणें त्वचा के रोमकूपों में समाती है। जिससे गर्भस्थ शिशु की त्वचा भी सुंदर, कोमल और स्वस्थ बनती है ।
गर्भवती यदि शरद पूर्णिमा चन्द्रमा की किरणों में शरीर को महीन कपड़े से ढँककर रखे हुए दूध-चावल की खीर का सेवन करे तो माँ के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु भी स्वस्थ रहता है।
अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा तिथि रविवार, 09 अक्टूबर 2022 को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से शुरू हुई है और ये पूर्णिमा तिथि सोमवार, 10 अक्टूबर 2022 की सुबह 02 बजकर 25 मिनट तक रहेगी।
शास्त्रों में कहा गया है कि शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर सवार होकर धरती पर भ्रमण करने के लिए आती हैं और अपने भक्तों की समस्याओं को दूर करने के लिए उन्हें वरदान भी देती हैं।पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, इसलिए भक्तगण धन की प्राप्ति के लिए इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा ज़रूर करते हैं।
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