28 या 29 किस दिन रखा जाएगा अजा एकादशी का व्रत, जानिए पूजा विधि और इससे मिलने वाले विशेष लाभ

नई दिल्ली: भाद्रपद माह में रखा जाने वाला अजा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे भगवान विष्णु की आराधना का दिन माना जाता है, जो पापों का नाश करने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस वर्ष 2024 में, अजा एकादशी का व्रत कब रखा […]

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28 या 29 किस दिन रखा जाएगा अजा एकादशी का व्रत, जानिए पूजा विधि और इससे मिलने वाले विशेष लाभ

Shweta Rajput

  • August 28, 2024 8:36 am Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: भाद्रपद माह में रखा जाने वाला अजा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे भगवान विष्णु की आराधना का दिन माना जाता है, जो पापों का नाश करने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस वर्ष 2024 में, अजा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, इसको लेकर कुछ भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है। हालांकि पंचांगों के अनुसार यह 29 अगस्त को रखा जाने वाला है।

अजा एकादशी का शुभ मुहूर्त

व्रत रखने का शुभ मुहूर्त 29 अगस्त 2024 की देर रात से शुरू होकर पूरे दिन रहेगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का समय प्रातः 01:19 से लेकर होगा और इसका समापन 30 अगस्त देर रात 01:37 बजे तक विशेष रूप से शुभ है। इस दौरान व्रतधारी को भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए, जिसमें तुलसी के पत्ते, पीले फूल, और पंचामृत का उपयोग किया जाता है।

अजा एकादशी व्रत का महत्व

अजा एकादशी का व्रत पापों का नाश करने और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, इस व्रत को रखने से सभी प्रकार के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस व्रत को करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। अजा एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ, व्रतधारी को सच्चे मन से उपवास रखना चाहिए। इस दिन अन्न का सेवन वर्जित होता है और केवल फलाहार या निर्जला व्रत करना चाहिए। साथ ही, व्रतधारी को चाहिए कि वे सत्य, अहिंसा, और संयम का पालन करें, और अपने मन को शुद्ध रखें।

व्रत विधि और पूजा

अजा एकादशी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक जलाकर, ताजे फूल, फल, और तुलसी पत्र अर्पित करने चाहिए। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना और विष्णु जी के मंत्रों का जाप करना भी शुभ माना जाता है। व्रत के दौरान अन्न का सेवन वर्जित होता है। केवल फलाहार और जल का सेवन किया जा सकता है। रात्रि के समय जागरण करके भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करना चाहिए। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। व्रतधारी को जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना चाहिए।

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