नई दिल्ली: राधा अष्टमी हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण की प्रियतमा, राधारानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन राधारानी का जन्म हुआ था और इसलिए इस दिन को बड़ी श्रद्धा और भक्तिभाव से मनाया जाता है। इस वर्ष राधा अष्टमी का पर्व
राधा अष्टमी का व्रत भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के प्रेम की महिमा को समर्पित होता है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को अपने अंदर अलग ही शुद्धता और भक्ति का अनुभव होता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से भक्तों को श्रीकृष्ण का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
राधा अष्टमी का व्रत विधिपूर्वक और नियमों के अनुसार किया जाता है। व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। व्रती को पूरे दिन निराहार रहना चाहिए, लेकिन अगर स्वास्थ्य कारणों से संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है। व्रत के दौरान राधारानी और श्रीकृष्ण के नाम का जप करते रहें।
1. स्थान का चयन: सबसे पहले पूजा के लिए स्वच्छ स्थान का चयन करें। यदि संभव हो तो घर के मंदिर में या किसी पवित्र स्थल पर पूजा करें।
2. प्रतिमा स्थापना: राधारानी और श्रीकृष्ण की प्रतिमा या चित्र को स्थान पर स्थापित करें। यदि प्रतिमा उपलब्ध न हो, तो आप केवल चित्र का उपयोग कर सकते हैं।
3. संकल्प: पूजा आरंभ करने से पहले संकल्प लें कि आप राधारानी के व्रत का पालन कर रहे हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा कर रहे हैं।
4. पंचामृत स्नान: राधारानी की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण होता है।
5. सजावट: राधारानी की प्रतिमा को वस्त्र, आभूषण और फूलों से सजाएं। इस दिन गुलाब और चमेली के फूल विशेष रूप से प्रिय माने जाते हैं।
6. आरती और भजन: राधारानी की आरती करें और भक्ति भजन गाएं। श्री राधा स्तुति या राधा अष्टकम का पाठ करना शुभ माना जाता है।
7. भोग अर्पण: राधारानी को विशेष भोग अर्पित करें। इस दिन मीठे पकवानों का भोग लगाना चाहिए जैसे कि मालपुआ, खीर, माखन मिश्री, आदि।
8. आरती के बाद प्रसाद वितरण: आरती के बाद भोग को प्रसाद के रूप में बांटें। यह प्रसाद भक्तों के बीच बांटना शुभ माना जाता है।
– “राधायै नमः”
– “ॐ राधे कृष्णाय नमः”
– “जय श्री राधे”
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