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नवरात्रि के चौथे दिन ऐसे करें मां कुष्मांडा की विधि पूर्वक पूजा, इस दिव्य मंत्र का जाप करने से होगी धन की प्राप्ति

नई दिल्ली: नवरात्रि के नौ दिनों में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। चौथे दिन मां कुष्मांडा की आराधना की जाती है। मां कुष्मांडा को ‘सूर्य मंडल’ की देवी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब इस सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था, तब मां कुष्मांडा ने हल्की सी मुस्कान से इस ब्रह्मांड की रचना की थी। उनके इस रूप को आनंद और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

मां कुष्मांडा की पूजा विधि

1. प्रातःकाल स्नान और साफ वस्त्र धारण करें – सबसे पहले प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और साफ सफाई के बाद मां की पूजा के लिए तैयार हों।

2. मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं – मां कुष्मांडा की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं और फिर उन्हें पुष्प, अक्षत (चावल), सिंदूर, धूप-दीप आदि चढ़ाएं।

3. विशेष भोग अर्पित करें – मां कुष्मांडा को खासतौर पर मालपुआ का भोग प्रिय है। इसके अलावा, फल, मिठाई और सूखे मेवे भी अर्पित कर सकते हैं।

4. आरती और ध्यान – पूजा के अंत में मां कुष्मांडा की आरती करें और ध्यान करें। मन में मां से अपने दुखों का निवारण और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

कुष्मांडा मंत्र का जाप करें

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे॥

इस मंत्र का 108 बार जाप करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।

मां कुष्मांडा की कृपा से धन की प्राप्ति

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कुष्मांडा की पूजा करने से घर में धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। वे अपने भक्तों को निरोगी काया और संपन्नता का आशीर्वाद देती हैं। उनकी कृपा से व्यापार में वृद्धि होती है और घर में शांति और खुशहाली का वास होता है।

मां कुष्मांडा का स्वरूप

मां कुष्मांडा का स्वरूप अत्यंत दिव्य और आकर्षक है। वे आठ भुजाओं वाली देवी हैं, जिनके हाथों में कमल, धनुष-बाण, अमृत कलश, चक्र, गदा, और अन्य दिव्य अस्त्र-शस्त्र होते हैं। उन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।

नवरात्रि में मां कुष्मांडा का विशेष महत्व

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करना लाभकारी माना जाता है। माना जाता है कि मां की आराधना से आध्यात्मिक उन्नति होती है और व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। उनकी पूजा से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं और उन्हें जीवन में आनंद और शांति का अनुभव होता है।

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Shweta Rajput

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