नई दिल्ली: राधाष्टमी, जिसे श्री राधा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय राधारानी का जन्मोत्सव है। यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, और इस वर्ष यह पर्व 2024 में 11 सितंबर को मनाया जाएगा। इस पावन अवसर पर वृंदावन के मंदिरों में राधारानी के दिव्य रूप के दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। वृंदावन, जो भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की लीलाओं का साक्षी है, इस दिन विशेष रूप से सजा-धजा होता है और यहां भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है।
1. श्री राधावल्लभ मंदिर: श्री राधावल्लभ मंदिर वृंदावन के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में राधारानी और भगवान श्रीकृष्ण की एकता का अनूठा उदाहरण देखने को मिलता है। यहां राधारानी की मूर्ति नहीं है, बल्कि उनके चरणचिन्हों को पूजा जाता है। राधाष्टमी के दिन यहां विशेष पूजा और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। भक्तजन बड़ी संख्या में यहां आकर राधारानी के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।
2. बांके बिहारी मंदिर: बांके बिहारी मंदिर वृंदावन का सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है। यहां भगवान श्रीकृष्ण को राधारानी के साथ बांके बिहारी के रूप में पूजा जाता है। राधाष्टमी के दिन इस मंदिर में विशेष सजावट की जाती है और भगवान को विशेष भोग अर्पित किया जाता है। भक्तजन इस दिन भगवान के दर्शन करने के लिए मंदिर में उमड़ पड़ते हैं।
3. श्रीलाडली जी मंदिर (बरसाना): वृंदावन से कुछ दूरी पर स्थित बरसाना में श्रीलाडली जी मंदिर राधारानी के जन्मस्थान के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर में राधाष्टमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना और झांकियों का आयोजन होता है। यहां राधारानी के दिव्य स्वरूप के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर में दिनभर भजन-कीर्तन और उत्सव का माहौल होता है।
4. राधा रमण मंदिर: राधा रमण मंदिर वृंदावन के सबसे पुराने और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में राधारानी और श्रीकृष्ण की लीलाओं का साक्षात चित्रण किया जाता है। राधाष्टमी के दिन यहां विशेष पूजा, अभिषेक और भोग का आयोजन होता है। मंदिर में राधारानी के अद्वितीय स्वरूप के दर्शन करने के लिए भक्तजन दूर-दूर से आते हैं।
राधाष्टमी के दिन राधारानी की पूजा में विशेष रूप से श्रृंगार, अभिषेक, पुष्पांजलि और भोग का महत्व है। भक्तजन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर राधारानी की पूजा करते हैं। इस दिन व्रत रखने का भी महत्व है, और व्रत के दौरान राधारानी की कथा और लीलाओं का श्रवण करना शुभ माना जाता है। वृंदावन के मंदिरों में इस दिन विशेष आरती और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। इसके अलावा इस दिन हरे कृष्णा महामंत्र और राधे-राधे मंत्र का जाप करने से न केवल राधारानी की कृपा बरसती है बल्कि श्री कृष्ण भी अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं।
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