जानिए क्यों मनाई जाती है लोहड़ी और कैसे मनाएं इस पर्व को स्पेशल

Lohri 2023: देशभर में मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है. लोहड़ी एक ऐसा त्यौहार है जो ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से शुरू हुआ लेकिन अब यह त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है। इस दिन, पंजाबी लोग लोहड़ी को लकड़ी और गाय के गोबर से लोहड़ी जमाते हैं और […]

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जानिए क्यों मनाई जाती है लोहड़ी और कैसे मनाएं इस पर्व को स्पेशल

Amisha Singh

  • January 12, 2023 7:57 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

Lohri 2023: देशभर में मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है. लोहड़ी एक ऐसा त्यौहार है जो ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से शुरू हुआ लेकिन अब यह त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है। इस दिन, पंजाबी लोग लोहड़ी को लकड़ी और गाय के गोबर से लोहड़ी जमाते हैं और लोहड़ी की आग पर तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाई जाती है। नए विवाहित जोड़े इस अग्नि की परिक्रमा करते हैं और इसके चारों ओर आहुति देते हैं और अपने सुखी शादीशुदा जीवन की कामना करते हैं.

 

इस साल लोहड़ी कब है?

इस वर्ष, लोहड़ी का त्यौहार 14 जनवरी 2023 शनिवार को पड़ रहा है। लोहड़ी को पारंपरिक रूप से फसल लगाने और कटाई से जुड़ा त्यौहार माना जाता है। सिख धर्म में आस्था रखने वाले नर्मदापुरम में रहने वाले अभिनव पंजाबी बताते हैं कि लोहड़ी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है। आइये आपको इस खबर में बताते हैं:

लोहड़ी क्यों और कैसे मनाते हैं

पंजाब जैसे राज्य में लोहड़ी में नई फसल की पूजा करने का भी रिवाज़ है। आपको बता दें, लोहड़ी के दिन लड़के लोहड़ी की आग के पास भांगड़ा करते हैं और लड़कियां गिद्दा करती हैं. सभी लोग पारंपरिक गीत गाते हुए आग की परिक्रमा भी करते हैं। पंजाब में आपको शहर के हर चौराहे पर लोहड़ी जलती हुई दिखेगी. लोग लोहड़ी को बड़े ही धूमधाम और दोस्तों और परिवार के साथ मनोरंजन के साथ मनाते हैं। इस दिन तिल,गुड़ गजक, रेवड़ी और मूंगफली का भी विशेष महत्व होता है।

कब मनाते है लोहड़ी

आपको बताते चलें, हर साल लोहड़ी का त्यौहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। लोहड़ी के दिन रात में लकड़ी के ढेर पर विशेष पूजा की जाती है और लोहड़ी जलाई जाती है और अगले दिन मकर संक्रांति का प्रात:काल स्नान करने के बाद लोहड़ी की अग्नि में अपने हाथ सेंककर अपने-अपने घर चले जाते हैं। लोहड़ी में जलाई गई आग को सूर्य देव के उत्तरायण के दिन पहला विशाल सार्वजनिक यज्ञ कहा जाता है।

 

लोहड़ी का महत्व

लोहड़ी पर्व का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन बड़े-बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखा जाता है और नई पीढ़ी के बच्चे अपने घर के बड़ों के साथ मिलकर प्राचीन मान्यताओं और रीति-रिवाजों का ज्ञान प्राप्त करते हैं, जिससे आने वाले समय में भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी पीढ़ी यह त्यौहार ऐसा ही चलता रहे. इसके साथ ही पंजाबी समुदाय में सुबह घर लौटने पर ‘लोहड़ी’ के 2-4 दहकते अंगार घर लाने की परंपरा आज भी कायम है.

 

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