October 21, 2024
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इन खास चीजों के बिना अधूरी है करवा चौथ की पूजा, जानिए पूजन विधि

इन खास चीजों के बिना अधूरी है करवा चौथ की पूजा, जानिए पूजन विधि

  • WRITTEN BY: Shweta Rajput
  • LAST UPDATED : October 20, 2024, 3:17 pm IST
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नई दिल्ली: करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। करवा चौथ की पूजा विधि और उससे जुड़ी कुछ विशेष चीज़ें इस व्रत को पूरा करती हैं।

1. करवा (मिट्टी का कलश)

करवा चौथ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा करवा होता है। करवा मिट्टी का बना होता है और इसे पूजा के समय भगवान गणेश और चंद्रमा की प्रतिमा के साथ रखा जाता है। करवा में जल या दूध भरकर चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है। यह करवा स्त्रियों के सुहाग और समृद्धि का प्रतीक होता है।

2. श्रृंगार की सामग्री

श्रृंगार का करवा चौथ व्रत में खास स्थान होता है। महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, जो कि उनकी सुहागिन होने का प्रतीक है। सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, मेहंदी, काजल, और अन्य श्रृंगार की चीजें व्रत की पूजा में अनिवार्य मानी जाती हैं। यह पूजा से पहले किया जाने वाला तैयार होने का एक हिस्सा होता है, जो स्त्रियों के सौभाग्य और वैवाहिक जीवन में खुशहाली का संकेत देता है।

3. कथा सुनने की थाली

करवा चौथ की पूजा में करवा चौथ की कथा सुनना अनिवार्य होता है। इसके लिए महिलाएं एक थाली सजाती हैं जिसमें दीपक, चावल, फूल और मिठाई रखी जाती है। कथा सुनते समय यह थाली उनके हाथों में होती है, जिसे वे बार-बार घुमाती हैं। करवा चौथ की कथा सुहाग के महत्व और जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के लिए सुनाई जाती है।

4. छलनी

करवा चौथ की पूजा में चंद्र दर्शन का खास महत्व है। महिलाएं छलनी से चंद्रमा का दर्शन करती हैं और फिर उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखकर उन्हें पानी पिलाती हैं। यह एक बहुत ही खास और भावुक क्षण होता है, जिसे हर सुहागिन महिला उत्सुकता से इंतजार करती है।

करवा चौथ की पूजन विधि

– सबसे पहले, सुबह सूर्योदय से पहले सरगी (जो सास द्वारा दी जाती है) खाकर व्रत की शुरुआत की जाती है।

– दिनभर निर्जला व्रत रखा जाता है।

– शाम के समय महिलाएं एकत्रित होकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं।

– पूजा की थाली में दीपक, चावल, सिंदूर, फूल, और मिठाई रखकर भगवान गणेश और करवा की पूजा की जाती है।

– चंद्रमा के दर्शन के बाद उसे अर्घ्य देकर चलनी से पति का चेहरा देखा जाता है और उन्हें पानी पिलाकर व्रत खोला जाता है।

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