नई दिल्ली: आज पूरे देश में करवा चौथ का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस विशेष दिन का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है, खासकर विवाहित महिलाओं के लिए। करवा चौथ का पर्व हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जब महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य पति-पत्नी के बीच के प्रेम और विश्वास को और अधिक सुदृढ़ करना है।
करवा चौथ व्रत से करवा माता की पौराणिक कहानी जुड़ी है। कथा के अनुसार करवा माता एक पतिव्रता सती स्त्री थीं। उनके पति लोगों के कपड़े धोने का काम करते थे। एक बार वे नदी में कपड़े धो रहे थे कि तभी अचानक मगरमच्छ ने उन्हें पकड़ लिया, इस पर उन्होंने जोर-जोर से अपनी पत्नी को पुकारा। जब करवा माता नदी पर पहुंचीं, तो देखा कि उनके पति को मगरमच्छ ने पकड़ रखा है, तो उन्होंने अपने तपोबल से पति को मगरमच्छ की कैद से छुड़ाया और फिर अपनी सूती साड़ी के कुछ धागे निकालकर मगरमच्छ को बांध लिया और यमराज के पास पहुंचीं। यमराज के पूछे जाने पर उन्होंने सारी घटना बताई। इस पर यमराज उनके सतीत्व और पत्नी धर्म की निष्ठा से बेहद प्रभावित हुए। यमराज ने उनके पति को हमेशा स्वस्थ रहने और दीर्घायु होने का वरदान दिया। साथ ही यह भी कहा कि जो सुहागिनें कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा माता का व्रत रखेंगी, करवा माता की कथा सुनेंगी या पाठ करेंगी, विधि-विधान से पूजा करेंगी, उनके पति की उम्र बहुत लंबी होगी। उनका दांपत्य अखंड सौभाग्यशाली बना रहेगा। तब से ही विवाहित महिलाएं कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखती हैं।
पंचांग के मुताबिक इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 20 अक्तूबर 2024, रविवार को रखा जाएगा। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी करवा चौथ का व्रत का शुभ समय 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 6:46 बजे से शुरू होगी और 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 4:16 बजे समाप्त होगी। करवा चौथ पर आसमान में चांद के निकलने का समय वैदिक पंचांग के मुताबिक शाम 07 बजकर 53 मिनट रहेगा। करवा चौथ पर इस बार रोहिणी नक्षत्र का अद्भुत संयोग बना हुआ है।
करवा चौथ का महत्व विवाहित महिलाओं के लिए अत्यधिक होता है। यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते में स्थिरता और मजबूती लाता है। महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं और चंद्र दर्शन के बाद ही जल ग्रहण करती हैं। इस दिन विशेष रूप से महिलाएं सज-धज कर पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं। करवा चौथ का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को भी मजबूती देता है।
करवा चौथ की पूजा विधि भी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इस दिन महिलाएं सुबह स्नान करके, शुद्ध कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लेती हैं। पूजा के समय मां पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा की जाती है। साथ ही एक मिट्टी का करवा (घड़ा) लिया जाता है, जिसमें जल भरकर देवी को अर्पित किया जाता है। पूजा के दौरान महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनती हैं और करवा को अपने पास रखते हुए, अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। रात में जब चंद्रमा उदित होता है, तो महिलाएं छलनी से चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देती हैं और फिर अपने पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का समापन करती हैं। इस दौरान पति-पत्नी एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और पति अपनी पत्नी को आशीर्वाद देते हैं।
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