नई दिल्ली: गोपाष्टमी का पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और गौ माता को समर्पित होता है। इस साल गोपाष्टमी 2024 में 9 नवंबर को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है, क्योंकि यह गोसेवा और गौ संरक्षण का प्रतीक है। गोपाष्टमी के दिन गौ माता की पूजा करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।
गोपाष्टमी का महत्व प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में बताया गया है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन की पहली बार गौचारण लीला की थी, जब उन्होंने बछड़ों की देखभाल के बजाय गायों को चराने का कार्य संभाला। यह दिन न केवल गौ माता के प्रति श्रद्धा का दिन है, बल्कि इस दिन गौ संरक्षण के प्रति समर्पण का भी संदेश दिया जाता है। गौ माता को भारतीय समाज में माता का स्थान प्राप्त है और यह पर्व उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा, गौ माता को धन, समृद्धि और परिवार के कल्याण का प्रतीक माना जाता है।
गोपाष्टमी के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध कपड़े पहनें। पूजा के लिए गौ माता को तैयार करें। यदि आपके पास गौ माता नहीं है तो किसी गौशाला में जाकर पूजा कर सकते हैं।
1. गाय को स्नान कराएं – गौ माता को अच्छे से स्नान कराएं। यदि संभव हो तो उन्हें हल्दी का लेप लगाएं, जिससे उनकी आरोग्यता में वृद्धि हो।
2. पूजा की थाली तैयार करें – पूजा की थाली में हल्दी, चंदन, अक्षत (चावल), फूल, और विशेष रूप से गुड़ रखें। गोपाष्टमी पर गायों को गुड़ खिलाना शुभ माना जाता है।
3. तिलक और आरती करें – गाय के माथे पर हल्दी या कुमकुम का तिलक लगाएं और फिर उन्हें माला पहनाएं। इसके बाद, दीपक जलाकर आरती करें और “गोवत्साय नमः” मंत्र का जाप करें।
4. गौ माता को भोजन कराएं – गौ माता को गुड़, हरा चारा और विशेष तौर पर गन्ना अर्पित करें। यह मान्यता है कि गोपाष्टमी के दिन गायों को भोजन कराने से आर्थिक समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
गोपाष्टमी के दिन गौ माता की सेवा और पूजा करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं। इस दिन गरीबों में दान करना, विशेषकर गायों के लिए चारा दान करना बहुत शुभ माना जाता है। यह भी मान्यता है कि इस दिन गौ माता की परिक्रमा करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
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