नई दिल्ली : दिवाली के छठे दिन से शुरू हो जाने वाले छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है. बिहार, उत्तरप्रदेश और झारखण्ड के लोगों के लिए ये पर्व नहीं बल्कि एक भाव है जिसे वह पूरे साल संजों के रखते हैं. साल के अंत में आने वाले इस पर्व का उत्साह पूरे देश में […]
नई दिल्ली : दिवाली के छठे दिन से शुरू हो जाने वाले छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है. बिहार, उत्तरप्रदेश और झारखण्ड के लोगों के लिए ये पर्व नहीं बल्कि एक भाव है जिसे वह पूरे साल संजों के रखते हैं. साल के अंत में आने वाले इस पर्व का उत्साह पूरे देश में देखा जा सकता है. भारतीय संस्कृति में सबसे कठिन व्रत की शुरुआत इस साल 28 अक्टूबर से हुई है. जहां यह पर्व अगले चार दिनों तक चलेगा. आज छठ का दूसरा दिन यानी खरना है. आइए आज आपको ऐसे बिहारी पकवानों के बारे में बताते हैं जिनके बिना कोई भी छठ अधूरी ही है.
छठ पूजा के पहले दिन नहाए खाए में घर में शाकाहारी भोजन बनाया जाता है, घर के सभी सदस्य नहा-धोकर इस सात्विक भोजन को ग्रहण करते है. इसी का हिस्सा है कद्दू भात जिसे कद्दू यानी लौकी, चने की दाल और चावल के साथ तैयार किया गया जाता है.
छठ पूजा के दूसरे दिन यानी खरना को ये ख़ास खीर बनाई जाती है. खरना खीर को बनाने की परंपरा सालों से चली आ रही है. जहां छठ के दिन इस खीर का सेवन करने से रिवाज़ पूरा होता है.
छठ पूजा की थाली में से शामिल एक हैं हरे चने. इन्हें छठ पर्व पर फ्राई करके भी खाया जाता है. इसे बनाने का तरीका भी बहुत आसान है. जहां चने से इसे बनाया जाता है.
छठ पर ये मुख्य प्रसाद के रूप में काफी प्रचलित है. जहां छठ पूजा के आखिरी दिन घर की रसोई से अलग एक और रसोई तैयार की जाती है जहां ये प्रसाद तैयार किया जाता है. इसे गेहूं के आटे और गुड़ से बनाया जाता है जिसके बिना तो छठ अधूरा ही है.
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