नई दिल्ली: छठ पूजा के पवित्र पर्व का आज समापन हुआ। चार दिवसीय इस महापर्व के आखिरी दिन व्रतधारी महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी पूजा का समापन किया। छठ के अंतिम दिन सभी व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उदित होते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। यह त्यौहार विशेषकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन आजकल देश के हर कोने में इसे बड़े श्रद्धा और भक्तिभाव से मनाया जाने लगा है।
छठ पर्व सूर्य देवता की पूजा और उनके प्रति श्रद्धा और आस्था को व्यक्त करने का अवसर है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत से सूर्य देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इसके साथ ही छठ व्रत को संतान प्राप्ति और उनकी लंबी आयु के लिए भी विशेष माना जाता है। छठ पूजा की परंपराएं अत्यंत प्राचीन हैं और इसके नियम अत्यंत कठोर माने जाते हैं।
बिहार के सभी जिलों में इस महापर्व के दौरान जगह-जगह आस्था का सैलाब देखने को मिला। नदी और तालाबों में छठ व्रतियों के श्रद्धा का विहंगम दृश्य देखने को मिला। छठ व्रतियों ने पूरे विधि विधान से शुक्रवार को उगते सूरर्य को अर्घ्य देने के बाद छठी मैया की पूजा-अर्चना की। इसके बाद छठ व्रतियों ने व्रत का पारण किया। आज व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास खत्म हुआ।
बिहार सहित पूरे देश के अन्य राज्यों में भी लोगों ने बड़ी ही धूम-धाम से छठ पूजा मनाया जाता है। भारी तादाद में घाटों पर व्रतियों ने पानी में उतरकर छठी मैया की आराधना की। यह व्रत भगवान भास्कर और छठी मैया को समर्पित होता है। मान्यता है कि छठी मैया की पूजा से घर में सुख, समृद्धि और वंश की वृद्धि होती है।
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