नई दिल्ली: आज से चैत्र नवरात्रि शुरू हो गई है। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की अराधना की जाती है। कहते हैं इन नौ दिनों में जो भी मां दुर्गा की भक्ति भाव और विधि विधान से पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से […]
नई दिल्ली: आज से चैत्र नवरात्रि शुरू हो गई है। नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की अराधना की जाती है। कहते हैं इन नौ दिनों में जो भी मां दुर्गा की भक्ति भाव और विधि विधान से पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से 30 मार्च 2023 तक की है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते हुए मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। आइए आपको बताते हैं विधि विधान के सटीक तरीके।
मां शैलपुत्री श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, देवी शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल होता है, ये माँ दुर्गा का पहला स्वरूप हैं। हिमालय की पुत्री होने की वजह से इनका नाम शैलपुत्री पड़ा, माता को स्नेह, करूणा, धैर्य और इच्छाशक्ति की देवी माना गया है।
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से कलश स्थापना की जाती है साथ ही अखंड ज्योति भी जलाई जाती है, ध्यान रखें पूजा करने से पहले प्रथम पूज्य श्री गणेश की उपासना करना न भूलें।
मां शैलपुत्री की पूजा में सफेद रंग की चीज़ों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें क्योंकि सफेद मां शैलपुत्री को बहुत प्रिय है।
माता शैलपुत्री की पूजा करने के लिए पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें. मां शैलपुत्री को कुमकुम, सफेद चंदन, हल्दी, अक्षत, सिंदूर, पान, सुपारी, लौंग, नारियल और 16 श्रृंगार का सारा सामान चढ़ाएं।
वहीं, भोग के रूप में माता को सफ़ेद मिठाई का ही भोग लगाए, आप इसमें रसगुल्ले को शामिल कर सकते हैं।
इसके बाद धूप, दीप लगाकर मां दुर्गा के इस मंत्र का एक माला का 108 बार जाप करें, आरती गाएं और माता की आराधना करें।
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