नई दिल्ली: भारत में इंटरनेट और डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव ने लोगों के लिए पोर्नोग्राफ़िक कंटेंट तक पहुंच को पहले से कहीं ज़्यादा आसान बना दिया है. क्या आप जानते हैं कि पोर्नोग्राफ़िक कंटेंट देखना एक अपराध है? सबसे बड़ी बात यह है कि अगर आप किसी ख़ास तरह का पोर्नोग्राफ़िक कंटेंट देखते हैं, […]
नई दिल्ली: भारत में इंटरनेट और डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव ने लोगों के लिए पोर्नोग्राफ़िक कंटेंट तक पहुंच को पहले से कहीं ज़्यादा आसान बना दिया है. क्या आप जानते हैं कि पोर्नोग्राफ़िक कंटेंट देखना एक अपराध है? सबसे बड़ी बात यह है कि अगर आप किसी ख़ास तरह का पोर्नोग्राफ़िक कंटेंट देखते हैं, तो आपको सज़ा भी हो सकती है. आइए आपको इससे जुड़े कानून के बारे में विस्तार से बताते हैं.
भारत में पोर्नोग्राफ़िक कंटेंट को लेकर कानून थोड़ा जटिल है. दरअसल, भारतीय कानून के मुताबिक, पोर्नोग्राफ़िक कंटेंट का उत्पादन, वितरण और व्यापार करना अवैध है. जहां तक निजी तौर पर पोर्नोग्राफ़िक कंटेंट देखने की बात है, तो इसे स्पष्ट रूप से अवैध नहीं बताया गया है. यानी अगर आप निजी तौर पर पोर्नोग्राफ़िक कंटेंट देखते हैं, तो आपको जेल नहीं हो सकती. हालाँकि, हर मामले में ऐसा नहीं होता. कुछ मामलों में, निजी तौर पर पोर्नोग्राफ़िक कंटेंट देखने पर भी आपको जेल हो सकती है. पहले समझिए किस धारा के तहत होती है कार्रवाई
अगर आप पोर्नोग्राफिक कंटेंट बनाते हैं, उसे वितरित करते हैं और उसका व्यापार करते हैं तो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67, 67A और IPC की धारा 292, 293, 294, 500, 506 और 509 के तहत सजा का प्रावधान है। दरअसल, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर पोर्नोग्राफिक कंटेंट के प्रकाशन, प्रसारण और वितरण को लेकर सख्त नियम हैं।
धारा 67A के तहत पोर्नोग्राफिक कंटेंट को प्रसारित, प्रकाशित या व्यापार करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर आपको 5 साल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। वहीं, अगर आप दूसरी बार ऐसा ही अपराध करते हैं तो 7 साल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
अगर आप बच्चों से जुड़ी पोर्नोग्राफिक कंटेंट देखते हैं तो आपको जेल हो सकती है। दरअसल, बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री का प्रसारण, प्रकाशन या व्यापार करने के अलावा उसे निजी तौर पर देखना भी अपराध है। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके खिलाफ POCSO एक्ट 2012 और IT एक्ट 2000 के तहत मामला दर्ज हो सकता है। अगर आप दोषी पाए जाते हैं तो आपको 5 से 7 साल की सजा हो सकती है और आप पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
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