इंडिया न्यूज के शो फैमिली गुरु में जय मदान सोमवती अमावस्या के बारे में बतायेंगी. सोमवती अमावस्या पर जय मदान की टिप्स को यूज कर आप अपनी कुंडली दोष से मुक्ति पा सकते हैं. फैमिली गुरु में सोमवती अमावस्या महत्व और उपाय भी बताये जाएंगे.
नई दिल्ली. हर साल 12 अमवस्या होती है. प्रत्येक अमावस्या का अपना महत्व होता है. इस माह सोमवती अमवस्या है. सोमवती अमावस्या 18 दिसंबर को है. इस दिन सर्वार्ध सिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है. इस मौके पर फैमिली गुरु में सोमवती अमवस्या से जुड़े खास उपाय बताये जाएंगे. ये उपाय आपकी कुंडली दोष से आपको मुक्ति दिलाएगा. 18 दिसंबर को होने अमावस्या की पूजा की तैयारियों के बारे में बताया जाएगा.
हर अमावस्या को घर के कोने कोने को अच्छी तरह से साफ करें, सभी प्रकार का कबाड़ निकाल कर बेच दें. इस दिन सुबह शाम घर के मंदिर और तुलसी पर दिया अवश्य ही जलाएं इससे घर से कलह और दरिद्रता दूर रहती है.अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए. अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें.
अमावस्या के दिन शनि देव पर कड़वा तेल, काले उड़द, काले तिल, लोहा, काला कपड़ा और नीला फूल चढ़ाकर शनि का पौराणिक मंत्र “ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम।” की एक माला का जाप करने से शनि का प्रकोप शांत होता है , दूसरे ग्रहों के अशुभ प्रभावों से भी छुटकारा मिलता है. हर अमावस्या को पीपल के पेड़ के नीचे कड़वे तेल का दिया जलाने से भी पितृ और देवता प्रसन्न होते हैं.
हर अमावस्या को गाय को पांच फल भी नियम से खिलाने चाहिए, इससे भी घर में शुभता और खुशी आती है. अमावस्या के दिन किसी तलाब पर गेहूं के आटे की गोलियां ले जाकर मछलियों को डालें. इस उपाय से पितरों के साथ ही देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है, धन सम्बन्धी सभी समस्याएं भी दूर होती हैं.
अमावस्या के दिन यानि कल सुबह जल्दी उठ जाना है फिर फ्रेश होकर जो बहुत बीमार रहता है उसके कपड़े से धागा निकालकर रूई के साथ मिलाकर उसकी बत्ती बनाएं. फिर एक मिट्टी का दीपक लेंकर उसमें घी भरकर, रूई और धागे की बत्ती लगाकर यह दीपक हनुमानजी के मंदिर में जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें. इस उपाय से हेल्थ जल्दी ठीक होगी. लेकिन डॉक्टर को दिखाते रहे साथ में इलाज कीजिए. ये उपाय उसके बाद कम से कम 7 मंगलवार और शनिवार को भी नियमित रूप से करना चाहिए.
अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए विशेष पूजन करना चाहिए. अगर आपके पितृ देवता प्रसन्न होंगे तभी आपको दूसरे देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त हो सकती है. पितरों की कृपा के बिना कठिन मेहनत के बाद भी जीवन में कुछ ना कुछ गड़बड़ होती रहती है. और आपको सही फल नहीं मिलता.
हर अमावस्या के दिन एक जरुरतमंद को भोजन अवश्य ही कराएं. इससे आपके पितर सदैव प्रसन्न रहेंगे, आपके बड़े काम में अड़चने नहीं आएंगी, घर में धन की कोई भी कमी नहीं रहेंगी और आपका घर – परिवार किसी भी साजिश से सुरक्षित रहेगा.
पितृ दोष निवारण के लिये पीपल के पेड़ पर जल में दूध , गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल मिलाकर सींचते हुए पुष्प, जनेऊ अर्पित करते हुये “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाएं नमः” मंत्र का जाप करते हुये 7 बार परिक्रमा करे फिर ॐ पितृभ्यः नमः मंत्र का जप करते हुए अपनी गलतियों के लिए माफी मांग लीजिए… और सोमवती अमावस्या यानि कल तो पीपल की 108 बार परिक्रमा करने से विशेष लाभ मिलता है.
हर अमावस्या पर पितरों का तर्पण जरुर ही करना चाहिए. तर्पण करते समय एक पीतल के बर्तन में जल में गंगाजल , कच्चा दूध, तिल, जौ, तुलसी के पत्ते, दूब, शहद और सफेद फूल डाल कर पितरों का तर्पण करना चाहिए. तर्पण, में तिल और कुशा के साथ जल हाथ में लेकर दक्षिण दिशा की तरफ मुँह करके तीन बार तपरान्तयामि, तपरान्तयामि, तपरान्तयामि कहकर पितृ तीर्थ यानी अंगूठे की ओर जल देते हुए जल को धरती में किसी बर्तन में छोड़ने से पितरों को तृप्ति मिलती है. तर्पण का जल तर्पण के बाद किसी वृक्ष की जड़ में चड़ा देना चाहिए वो जल इधर उधर बहाना नहीं चाहिए.
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