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Sharad Purnima 2018: आज रात धरती घूमने निकलेंगी मां लक्ष्मी इस उपाय अपने घर में करें मां का स्वागत

Sharad Purnima 2018: इंडिया न्यूज के खास शो फैमिली गुरु में जय मदान ने शरद पूर्णिमा की रात के बारे में बात की है. कहा जाता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है और मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं, शो में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय बताएं गए है. जय मदान द्वारा बताए गए उपाय से मां लक्ष्मी करेंगी घर आगमन होगी सारी परेशानी से मुक्ति

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  • October 23, 2018 7:51 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. Sharad Purnima 2018: इंडिया न्यूज के खास शो फैमिली गुरु में जय मदान ने शरद पूर्णिमा के बारे में बात की है. शो में बताया है कि मां लक्ष्मी शरद पूर्णिमा के दिन धरती पर आती हैं. ऐसे में मां को प्रसन्न कर घर में बुला कर जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं. पौराणिक मान्यताओ की माने तो चांदनी में मां लक्ष्मी पृथ्वी पर घूमने के लिए आती हैं. शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि के बाद मां लक्ष्मी अपने वाहन पर बैठकर धरती के दृश्य का आनंद लेती हैं. साथ ही आज लक्ष्मी माता यह भी देखती हैं कि कौन भक्त रात में जागकर उनकी भक्ति कर रहा है. इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को कोजागरा भी कहा जाता है. कोजागरा का शाब्दिक अर्थ है कौन जाग रहा है. मान्यता है कि जो इस रात में जगकर मां लक्ष्मी की उपासना करते हैं मां लक्ष्मी की उन पर कृपा होती है. शरद पूर्णिमा के बारे में कहा जाता है कि इस रात जगकर लक्ष्मी की उपासना करता है उनकी कुण्डली में धन योग नहीं भी होने पर माता उन्हें धन-धान्य से संपन्न कर देती हैं.

साथ ही कार्तिक मास का व्रत भी शरद पूर्णिमा से ही प्रारंभ होता है. पूरे महीने पूजा-पाठ और स्नान-परिक्रमा का दौर चलता है. पौराणिक मान्यता के मुताबिक इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों संग महारास रचाया था. इसलिए इसे ‘रास पूर्णिमा’ भी कहा जाता है. शरद पूर्णिमा को दिन में 10 बजे पीपल की सात परिक्रमा करनी चाहिए इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है. शरद पूर्णिमा को ध्वल चांदनी में जप-तप करने से कई रोगों से छुटकारा मिलता है। कई तरह की बुराइयां दूर भागती हैं.

शरद पूर्णिमा को चंद्रमा पूर्ण सोलह कलाओं से भरपूर होता है, इसीलिए श्रीकृष्ण ने महारास लीला के लिए इस रात को चुना था. इस रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है और मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं. मन इन्द्रियों भी आज की रात अपनी शुद्ध अवस्था में आ जाती हैं. मन निर्मल और शांत हो जाता है. आपने देखा होगा शरद पूर्णिमा की पूर्णिमा पर दूध और चावल की खीर को चन्द्रमा के नीचे रख दिया जाता है जिससे चांद की किरणे उस पर गिरे. फिर इसे खाया जाता है. मान्यता के मुताबिक खीर जो चंद्रमा के नीचे रखी होती है उसमें अमृत वर्षा हो जाती है और खीर को खाकर अमृतपान का संस्कार पूरा होता है. आयुर्वेद की भी माने तो ठंड में गर्म दूध का सेवन अच्छा माना जाता है. ऐसा कह सकते हैं कि इसी दिन से रात में गर्म दूध पीने की शुरुआत की जानी चाहिए. वर्षा ऋतु में दूध का सेवन जितना कम किया जाए उतना अछ्छा लेकिन आज से आप दूध पी सकते हैं. गर्म दूध. इसका एक और पक्ष है. आज इंसान अपनी इन्द्रियों को वश में कर लेता है तो उसकी बुराइयां शांत होती है. मन निर्मल एवं शांत हो जाता है और चंद्रमा जैसा चमकता है

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