देशभर में 11 अक्टूबर 2016 आज पूरे देश में दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है. दशहरा को हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है. दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार अश्विन माह में शुक्ल पक्ष के दसवें दिन (दशमी) मनाया जाता है.
देश-विदेश से माता के भक्त देवी के रूप में कुमारी कन्या की पूजा के लिए बेलूर मठ पहुंचे हैं. वातावरण में ढोल और घंटियों की आवाजें गूंज रही हैं और श्रद्धा के दीपक जगमगा रहे हैं.
अगर आपके भी बने काम बिगड़ जाते हैं, लाख कोशिशों के बाद भी पैसे नहीं रुकते. आप चाहकर भी वो नहीं कर पाते जो करना चाहते हैं तो घबराइए मत हम बताते हैं आपको कुछ ऐसे उपाय जो आपकी इन सब परेशानियों को हमेशा के लिए दूर कर देंगे.
नवरात्रि पर देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व है. मां दुर्गा के नौ रूपों की अराधना का पावन पर्व शुरू हो चुका है. इन नौ दिनों में व्रत रखने वालों के लिए कुछ नियम होते हैं साथ ही इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को उनका पसंदीदा भोग चढ़ाकर मां का आशीर्वाद भी पाया जा सकता है.
मां दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं. दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की अराधना, उपासना और साधना की जाती है. दो तरीके से मां काली की पूजा की जाती है इस दिन साधक का मन 'सहस्रार' चक्र में स्थित रहता है.
नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी की पूजा अगर सही विधि से की जाए तो यह अत्यंत फलदायी होती है, मां की पूजा उन लड़कियों को अवश्य करनी चाहिए जिन्हें शादी तो करनी है, लेकिन मनचाहा वर नहीं मिल रहा है या तो शादी का योग नहीं बन रहा है.
नवरात्रि शुरू होते ही हर तरफ गरबे की धूम मच जाती है. गरबा गुजरात का लोकनृत्य है लेकिन यह पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है. नवरात्र के इस खास मौके पर आपके गरबे में चार चांद लगाने के लिए फैमिली गुरु जय मदान बताएंगी कुछ खास टिप्स.
आज मां दुर्गा के चौथे दिन देवी कुष्माण्डा की पूजा होती है. जब भी मां कुष्माण्डा की पूजा करें उनके माहामंत्र का उच्चारण जरूर करें. नवरात्र के दौरान जब भी पूजा करें मां के महामंत्र और बीजमंत्र कम कम से कम एक माला जप करना चाहिए.
रविवार को नवरात्र का तीसरा दिन है. आम तौर पर तीसरे दिन मां भगवती के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा देवी की पूजा अर्चना होती है लेकिन इस बार की नवरात्र में तृतीया तिथि का क्षय है. जिसकी वजह से तृतीय व चतुर्थी तिथि के देवियों के एक साथ पूजा अर्चना होगी. इसलिए रविवार को चंद्रघंटा देवी और कूष्मांडा देवी दोनों की अराधना होगी.
नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ आचरण करने वाली होता है. अर्थात ब्रह्मचारिणी मां के नाम का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली.