फैमिली गुरु: अगर आपके पास डायमंड नहीं है तो इस उपाय के बाद जरुर होगा

Family guru: इंडिया न्यूज के स्पेशल प्रोग्राम फैमिली गुरु में जय मदान ने इस एपिसोड में डायमण्ड से जुड़ी टिप्स दी. जय मदान ने ऐसे अचूक उपाय बताये जिसके बाद हर कोई डायमण्ड पाने की इच्छा को पूरी कर सकता है. जय मदान ने शॉपिंग टिप्स और डॉयमण्ड से जुड़ी ऐसी टिप्स भी दी जो हर किसी ग्राहक के लिये जरूरी है. जय मदान ने बताया कि हीरा किस स्थिति में आपको नुकसान पहुंचा सकता है.

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फैमिली गुरु: अगर आपके पास डायमंड नहीं है तो इस उपाय के बाद जरुर होगा

Aanchal Pandey

  • December 24, 2017 7:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. इंडिया न्यूज के शो फैमिली गुरु में आज डायमण्ड पर हुई. जय मदान ने बताया कि डायमंड आपकी किस्मत कैसे चमका सकता है. एक छोटा सा हीरा आपकी जिंदगी पलट कर रख देगा. आज आपको हीरे का शुभ अशुभ भी बताउंगी. किसके लिए नुकसानदायक है हीरा और किसके लिए फायदमंद. जय मदान ने शॉपिंग टिप्स और डॉयमण्ड से जुड़ी ऐसी टिप्स भी दी जो हर किसी ग्राहक के लिये जरूरी है. जय मदान ने ये भी बताया कि हीरा किस स्थिति में आपको नुकसान पहुंचा सकता है.

हीरे के फायदे
जो व्यापार, फिल्म और आर्ट की फील्ड में सफलता हासिल करना चाहते हैं तो वो हीरा धारण कर सकते हैं. संबंधों में मधुरता के लिए लव रिलेशन के लिए हीरा अच्छा माना जाता है.
* पढ़ाई की परेशानी हो या शादी में रुकावट हो हीरा धारण करना लाभकारी साबित हो सकता है.
सेहत के लिए भी फायदेमंद बताया जाता है हीरा.
* हीरा धारण करने से उम्र लंबी होती है.
*डायबटीज और आंखों की बीमारी में भी हीरा पहनना अच्छा माना जाता है.

कैसे करें हीरा धारण
अंगूठी या हार के रूप में हीरा पहना जाता है. ज्योतिषिय प्रभाव के लिए हीरा अंगूठी में जड़वाकर शुक्रवार के दिन पहनना चाहिए..हीरे के दूसरे उपरत्न हीरा एक बेहद महंगा रत्न माना जाता है. अगर हीरा ना खरीद पाए तो इसकी जगह पर जरकन, फिरोजा, ओपल या कुरंगी जैसे रत्न भी धारण कर सकता है.

कोहिनूर का इतिहास

कोहिनूर का इतिहास करीब 700 से 800 साल पुराना है.. लेकिन पौराणिक मान्यताओं की मानें तो कोहिनूर की कहानी हजारों साल से चली आ रही है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक. कोहिनूर हीरा तीन हजार से पांच हजार साल पुराना है..। प्राचीन संस्कृत इतिहास में कोहिनूर को स्यमंतक मणि कहा गया है.. कहते हैं भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं यह मणि युद्ध के बाद जामवन्त से ले ली थी.

एक अन्य कथा के मुताबिक ये मणि सूर्य से कर्ण को फिर अर्जुन और युधिष्ठिर को मिली. इसके बाद अशोक, हर्ष और चन्द्रीगुप्तक के हाथ ये मणि लगी. कहते है वैदिक युग में देव-दानव युद्ध में असुरों ने इन्द्र के सिंहासन से उखाड़ कर इसे दक्षिण भारत में किसी जगल में गाड़ दिया था. सदियों पुराना कोहिनूर हीरा आज भले ही ब्रिटेन की महारानी के ताज की शोभा बढ़ा रहा है.. लेकिन हकीकत तो यही है कि कोहिनूर की जन्मभूमि हिन्दुस्तान है. आंध्रप्रदेश के गोलकुंडा से निकला कोहिनूर अपने आकार. वजन और चमक की वजह से दुनिया का बेमिसाल हीरा माना जाता है. कोहिनूर की सबसे बड़ी खासियत है इसका विशाल आकार और वजन105 कैरेट का कोहिनूर वजन में 21.6 ग्राम है।विशाल आकार की वजह से कोहिनूर को रोशनी का पहाड़ भी कहा जाता है.

इस बेशकीमती हीरे की कीमत का ठीक ठीक अंदाजा आज तक कोई नहीं लगा पाया लेकिन मोटे तौर पर इसकी कीमत करीब 15 खरब रुपए आंकी गई है..।खास बात ये है कि जब सदियों पहले जब कोहिनूर हीरा गोलकुंडा के खदान से निकला था तब ये 787 कैरेट का था.. लेकिन बार बार तराशे और काटने छांटने के बाद अब कोहिनूर का आकार 105 कैरेट रह गया है. बावजूद इसके कोहिनूर आज भी दुनिया का अब तक का खोजा गया सबसे बड़ा ऐतिहासिक हीरा है. इसकी शानदार बनावट और दूधिया चमक की वजह से करीब दर्जन भर से भी ज्यादा राजा-महाराजाओं, बादशाहों और शासकों ने बारी बारी से कोहिनूर पर कब्जा किया. लेकिन ये हीरा किसी के पास भी लंबे वक्त तक नहीं टिक पाया.

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