नई दिल्ली. कल यानि बुधवार को साल का पहला चंद्रग्रहण है और साल में सिर्फ एक बार आने वाली माघ पूर्णिमा भी कल ही है इसलिए कल का दिन बहुत विशेष है. ऐसे में माघ पूर्णिमा के सारे उपाय, व्रत पूजा आज सबकी जानकारी जान लीजिए. पुराणों में माना जाता है कि माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु व्रत, उपवास, दान से भी उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना अधिक प्रसन्न माघ स्नान करने से होते हैं. इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है. इसके साथ ही मन और तन भी शुद्ध हो जाते है. इस दिन व्रत करने से धन, लक्ष्मी, विद्या की प्राप्ति होती है.
इस दिन खास उपाय करने से महालक्ष्मी भी प्रसन्न होती है. जिससे उनकी कृपा आप पर हमेशा बनी रहती है और आपके घर कभी भी धन की कमी नहीं होती है. अगर आप भी महालक्ष्मी को खुश करना चाहते है तो माघ पूर्णिमा के दिन ये उपाय जरुर करें. रात के समय यानी कि माघ पूर्णिमा की शुरुआत रात करीब 12 बजे माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विधि-विधान के साथ पूजा करें उसी समय मुख्य द्वार के दरवाजे में एक घी का दीपक जलाकर रख दें. इससे माता लक्ष्मी जरुर प्रसन्न होकर आपके घर में निवास करेंगी.
माघ पूर्णिमा पर किए गए दान-धर्म और स्नान का विशेष महत्व होता है. इस बार माघी पूर्णिमा 10 फरवरी को है. पंचांग के मुताबिक ग्यारहवें महीने यानी माघ में स्नान, दान, धर्म-कर्म का विशेष महत्व है. इस दिन को पुण्य योग भी कहा जाता है. इस स्नान के करने से सूर्य और चंद्रमा दोषों से मुक्ति मिलती है.
ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि माघी पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं. इस दिन भैरव जयंती भी मनाई जाती है. माघ मास भगवान विष्णु का स्वरूप बताया गया है. पूरे महीने स्नान-दान नहीं करने की स्थिति में केवल माघी पूर्णिमा के दिन तीर्थ में स्नान किया जाए तो संपूर्ण माघ मास के स्नान का पूरा फल मिलता है.माघ स्नान का साइंस के मुताबिक भी महत्व है. माघ में ठंड खत्म होने की ओर रहती है तथा इसके साथ ही स्प्रिंग की शुरुआत होती है. ऋतु के बदलाव का सेहत पर उल्टा असर नहीं पड़ता. इसलिए प्रतिदिन सुबह स्नान करने से शरीर को मजबूती मिलती है.
शास्त्रों और पुराणों के मुताबिक पौष मास की पूर्णिमा से माघ मास की पूर्णिमा तक माघ मास में पवित्र नदी नर्मदा, गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी जैसी नदियों में स्नान करने से मनुष्य को पापों से छुटकारा मिल जाता है और स्वर्गलोक का रास्ता खुल जाता है. महाभारत में एक जगह इस बात का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इन दिनों में अनेक तीर्थ मिलते हैं.वहीं पद्मपुराण में कहा गया है कि दूसरे महीनों में जप, तप और दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते जितने कि वे माघ मास में स्नान करने से होते हैं. यही वजह है कि प्राचीन ग्रंथों में नारायण को पाने का आसान रास्ता माघ पूर्णिमा के पुण्य स्नान को बताया गया है.
माघ मास में दान का विशेष महत्व है. दान में तिल, गु़ड़ और कंबल का विशेष पुण्य है. मत्स्य पुराण के मुताबिक माघ मास की पूर्णिमा में जो जरुरतमंद को दान करता है, उसे पुण्य मिलता है. माघ मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से एनर्जी मिलती है. वहीं शास्त्रों और पुराणों में लिखा है की इस महीने में पूजन- अर्चन और स्नान करने से भगवान नारायण को प्राप्त किया जा सकता है. वहीं महीने के स्नान से स्वर्ग की प्राप्ति का मार्ग भी खुलता है.
माघ की विशेषता को लेकर सदियों से पूरे भारत वर्ष में नर्मदा और गंगा सहित कई पवित्र नदियों के तट पर माघ मेला भी लगते हैं. माघ पूर्णिमा के अवसर पर भगवान सत्यनारायण जी कि कथा की जाती है भगवान विष्णु की पूजा में केले के पत्ते व फल, पंचामृत, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा का उपयोग किया जाता है. सत्यनारायण की पूजा के लिए दूध, शहद केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है, इसके साथ ही साथ आटे को भून कर उसमें चीनी मिलाकर चूरमे का प्रसाद बनाया जाता है और इस का भोग लगता है.माघ पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु स्नान, दान, पूजा-पाठ, यज्ञ आदि करते हैं. माघ पूर्णिमा के दिन स्नान करने वाले पर भगवान विष्णु कि असीम कृपा रहती है. सुख-सौभाग्य, धन-संतान कि प्राप्ति होती है माघ स्नान पुण्य देने वाला होता है.
शास्त्रों में कृष्ण भक्ति आनंद, सुख और सौभाग्य देने वाली मानी गई है. श्रीकृष्ण की हर लीला भी हर इंसान को अपनी गुण और शक्तियों को पहचान उनसे सफलता पाने का संदेश देती हैं. श्रीकृष्ण द्वारा बताया गया कर्मयोग भी कलह और दु:खों से बचने का सबसे बेहतर और बेजोड़ सूत्र है. भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण या उनके अवतारों की भक्ति से ही हर कलह दूर करने और सौभाग्यशाली और सफल जीवन के लिए पूर्णिमा तिथि का भी खास महत्व है.
सुबह भगवान श्रीकृष्ण को गंगाजल और पंचामृत स्नान कराएं. स्नान के बाद गंध, सुगंधित फूल, अक्षत, पीले वस्त्र चढ़ाएं. श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं. सुगंधित धूप और दीप प्रज्जवलित कर नीचे लिखे कृष्ण मंत्रों का आस्था से सौभाग्य और कलह के नाश की कामना से जप करें. ऊँ नमो भगवते नन्दपुत्राय .. ऊँ नमो भगवते गोविन्दाय .. ऊँ कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम: . मंत्र ध्यान के बाद भगवान कृष्ण या विष्णु की आरती करें. प्रसाद बांटे और ग्रहण करें. पूजा, आरती में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें.
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