कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता है. हिन्दू धर्म में हर पूजा से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है इसलिए नवरात्र की शुभ पूजा से पहले कलश के रूप में गणेश को स्थापित किया जाता है.
नई दिल्ली. कल यानि रविवार से पवित्र नवरात्र शुरु हो रहे हैं और फैमिली गुरु में जय मदान रोज आपको पहले से ही अगले दिन जानकारी देंगी ताकि आप एक दिन पहले ही तैयार हो जाएं और आपको पता चल जाए अगले दिन मां को कैसे प्रसन्न करना है. तो चलिए सबसे पहले आपको नवरात्र का शुभ मुहूर्त औऱ घट स्थापना के बारे में जान लीजिए. सबसे पहले कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त जान लीजिए. ये मुहूर्त बहुत जरुरी है. पहले नवरात्र के दिन ही घट स्थापना जिसे कुछ लोग कलश स्थापना भी कहते हैं उसका समय कल 18 मार्च को सुबह 6 बजकर 31 मिनट से सुबह 7 बजकर 46 मिनट तक है. यानि कलश स्थापना के लिए पूरे 1 घंटे 15 मिनट का समय मिलेगा. इस बीच आपको घट स्थापना कर लेनी है.
पूजा अगर शुभ मुहूर्त पर हो तो आपको इसका शुभ फल भी जरुर मिलता है . चलिए अब आपको कलश स्थापना कैसे करनी है सबसे पहले उसके बारे में जान लीजिए. लेकिन उससे पहले आपको कलश स्थापना के लिए क्या क्या चाहिए उस सामान की लिस्ट बना लीजिए .
चलिए अब आप नवरात्र कलश स्थापना की विधि के बारे में जान लीजिए-
कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता है. हिन्दू धर्म में हर पूजा से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है इसलिए नवरात्र की शुभ पूजा से पहले कलश के रूप में गणेश को स्थापित किया जाता है. भविष्य पुराण के अनुसार कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लेना चाहिए. एक लकड़ी का फट्टा रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए. इस कपड़े पर थोड़ा- थोड़ा चावल रखना चाहिए. चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करना चाहिए. एक मिट्टी के पात्र (छोटा समतल गमला) में जौ बोना चाहिए. इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करना चाहिए. कलश पर रोली से स्वस्तिक या ऊं बनाना चाहिए. कलश के मुख पर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए. कलश में सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखने चाहिए. कलश के मुख को ढक्कन से ढंक देना चाहिए. ढक्कन पर चावल भर देना चाहिए. एक नारियल ले उस पर चुनरी लपेटकर रक्षा सूत्र से बांध देना चाहिए. इस नारियल को कलश के ढक्कन पर रखते हुए सभी देवताओं का आवाहन करना चाहिए. अंत में दीप जलाकर कलश की पूजा करनी चाहिए. कलश पर फूल और मिठाइयां चढ़ाना चाहिए.
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