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फैमिली गुरु: गंगा दशहरा पर जाने क्या है गंगा जी के धरती पर आने की कहानी

इंडिया न्यूज के कार्यक्रम फैमिली गुरु में जय मदान ने बताया कि आखिर गंगा दशहरा क्या होता है . साथ ही उन्होंनें मां गंगा के धरती पर आने के पीछे की पूरी कथा बताई है.

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family guru: story behind ganga ji on earth on ganga dussera
  • May 24, 2018 8:07 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. आज गंगा दशहरा है. आपके लिए ये जानना बेहद जरुरी है की गंगा दशहरा आखिरी होता क्या है और गंगा जी के धरती पर आने की कथा क्या है. जब आपको ये मालूम होगा तो आप अपने बच्चों को बताएंगे तो उनमें भी संस्कार आएंगे. एक बार महाराज सगर ने बहुत बडा यज्ञ किया. उस यज्ञ की रक्षा का भार उनके पोते अंशुमान ने संभाला. इंद्र ने सगर के घोडे का अपहरण कर लिया. ये यज्ञ के लिए रुकावट थी. अंशुमान ने सगर के साठ हजार पुत्र लेकर घोड़ा खोजना शुरू कर दिया. सारा भूमंडल खोज लिया पर अश्व नहीं मिला. फिर अश्व को पाताल लोक में खोजने के लिए पृथ्वी को खोदा गया.

खुदाई पर उन्होंने देखा कि साक्षात्‌ भगवान महर्षि कपिलके रूप में तपस्या कर रहे हैं. उन्हीं के पास महाराज सगर का घोड़ा घास चर रहा था. महर्षि कपिल की समाधि टूट गई. जैसे ही माहर्षि की समाधि टूटी सभी 60 हजार मारे गए. इन मृत लोगों के उद्धार के लिए ही महाराज दिलीप के पुत्र भगीरथ ने कठोर तप किया था. भगीरथ के तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उनसे वर मांगने को कहा तो भगीरथ ने गंगाकी मांग की.

इस पर ब्रह्मा ने भागीरथी से कहा-  तुम गंगा को धरती पर लाना चाहते हो लेकिन क्या धरती गंगा का वेग संभाल पाएगी. ब्रह्रा बोले की गंगा के वेग को संभालने की शक्ति केवल भगवान शंकर में है. इसलिए गंगा का भार और वेग संभालने के लिए भगवान शिव से अनुरोध किया जाए.  महाराज भगीरथ ने वैसे ही किया. उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने गंगा की धारा को अपने कमंडल से छोड़ा.  तब भगवान शिव ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेटकर जटाएं बांध लीं. इसका परिणाम यह हुआ कि गंगा को जटाओं से बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिला. अब महाराज भगीरथ को और भी अधिक चिंता हुई.

उन्होंने एक बार फिर भगवान शिव की आराधना में घोर तप शुरू किया. तब कहीं भगवान शिव ने गंगा की धारा को मुक्त करने का वरदान दिया. इस तह शिवजी की जटाओं से छूट कर गंगाजी हिमालय की घाटियों से होती हुई मैदान की ओर मुड़ी. इसी तरह भगीरथ पृथ्वी पर अमर हो गए. युगों-युगों से गंगा के साथ ही भागीरथ का भी गुणगान किया जाता है. और आज ही वो दिन है जब गंगा मां धरती पर आई थी. इसलिए आज मेरे साथ मिलकर गंगा मैय्या की जय जयकार कीजिए. बोलिए गंगा मैय्या की जय.

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