यूं तो मां का हर रुप निराला है, भक्तों का संकट हरने वाला है लेकिन मां चंद्रघंटा का महामंत्र और बीचमंत्र भक्तों को कल जरुर जरुर जपना है. इस पर्व के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की गई. जबकि नवरात्रि का दूसरा दिन है जब मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है.
नई दिल्ली. हिन्दुओं की सबसे पवित्र त्योहार चैत्र नवरात्रि 2018 बीते 18 मार्च से शुरू हो गया है. पूरे नौ दिनों तक चलने वाली इस पूजा में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. हिन्दू परंपरा के अनुसार इन 9 दिनों का विशेष महत्व होता है. ऐसे में मंगलवार को इसके तीसरे दिन मां चन्द्रघण्टा की पूजा की जानी है. मां दुर्गा की तीसरी शक्ति ‘ मां चन्द्रघण्टा’ हैं. नवरात्र का तीसरे दिन यानि कल इन्हीं का दिन है. यूं तो मां का हर रुप निराला है, भक्तों का संकट हरने वाला है लेकिन मां चंद्रघंटा का महामंत्र और बीचमंत्र भक्तों को कल जरुर जरुर जपना है. इस पर्व के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की गई. जबकि नवरात्रि का दूसरा दिन है जब मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है.
मां चंद्रघंटा की पूजा करने वाले उनके भक्त जहां भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शांति और सुख महसूस करते हैं. उसे किसी भी तरह का कष्ट नहीं होता है. वह निरोगी, स्वस्थ, धनवान और सुखी हो जाते है. और अब वो महामंत्र जान लीजिए जिसके बिना मां चन्द्रघंटा की पूजा अधूरी है.
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
ये तो मां का महामंत्र है जिसे आपको पूजापाठ के दौरान जपना है. लेकिन अब मां का बीजमंत्र जान लीजिए.. माला से बीजमंत्र का जप कीजिए मां की कृपा जरुर मिलेगी.
चन्द्रघंटा : ऐं श्रीं शक्तयै नम:
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