फैमिली गुरु: महालक्ष्मी व्रत और राधा अष्टमी की सबसे विशेष जानकारी

इंडिया न्यूज के खास शो फैमिली गुरु में राधाष्टमी के बारे में बात की गई है, बताया गया है किस तरह राधा अष्टमी के दिन राधा कृष्ण की पूजा की जाती हैं.राधाजी का ‘कृष्ण वल्लभा’ कहकर गुणगान किया गया है, वही कृष्णप्रिया हैं. राधाजन्माष्टमी कथा से भक्त सुखी, धनी और सर्वगुणसंपन्न बनते हैं, भक्ति से श्री राधाजी का मंत्र जाप करने से उन्हें याद करने से मोक्ष मिलता है

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फैमिली गुरु: महालक्ष्मी व्रत और राधा अष्टमी की सबसे विशेष जानकारी

Aanchal Pandey

  • September 17, 2018 8:22 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. इंडिया न्यूज के नंबर 1 शो फैमिली गुरु में महालक्ष्मी व्रत और राधा अष्टमी के बारे में विशेष रुप से बात की गई हैं. राधाष्टमी के दिन शुद्ध मन से व्रत का पालन किय जाता है. राधाजी की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराते हैं स्नान कराने के बाद उनका श्रृंगार किया जाता है. राधा जी की सोने या किसी दूसरे मेटल से बनी हुई सुंदर मूर्ति को विग्रह में स्थापित करते हैं. दोपहर के समय श्रद्धा और भक्ति से राधाजी की आराधना कि जाती है. धूप-दीप से आरती करने के बाद भोग लगाया जाता है. कई ग्रंथों में राधाष्टमी के दिन राधा-कृष्ण की मिलाकर रुप से पूजा की बात कही गई है.

इसके मुताबिक सबसे पहले राधाजी को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए और उनका विधिवत रुप से श्रृंगार करना चाहिए. इस दिन मंदिरों में 27 पेड़ों की पत्तियों और 27 ही कुंओं का जल इकठ्ठा करना चाहिए. सवा मन दूध, दही, शुद्ध घी से मूल शांति करानी चाहिए. आखिर में कई मन पंचामृत से वैदिक मम्त्रों के साथ “श्यामाश्याम” का अभिषेक किया जाता है. नारद पुराण के मुताबिक ‘राधाष्टमी’ का व्रत करनेवाले भक्तगण ब्रज के दुर्लभ रहस्य को जान लेते है. जो इस व्रत को विधिवत तरीके से करते हैं वह सभी पापों से मुक्ति पाते हैं.

ब्रज और बरसाना में राधाष्टमी

ब्रज और बरसाना में जन्माष्टमी की तरह राधाष्टमी भी एक बड़े त्यौहार के रूप में मनाई जाती है. वृंदावन में भी यह उत्सव बडे़ ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. मथुरा, वृन्दावन, बरसाना, रावल और मांट के राधा रानी मंदिरों इस दिन को उत्सव के रुप में मनाया जाता है. वृन्दावन के ‘राधा बल्लभ मंदिर’ में राधा जन्म की खुशी में गोस्वामी समाज के लोग भक्ति में झूम उठते हैं. मंदिर का परिसर “राधा प्यारी ने जन्म लिया है, कुंवर किशोरी ने जन्म लिया है” से गूंज उठता है.
राधाष्टमी महत्व

राधाजी का ‘कृष्ण वल्लभा’ कहकर गुणगान किया गया है, वही कृष्णप्रिया हैं. राधाजन्माष्टमी कथा से भक्त सुखी, धनी और सर्वगुणसंपन्न बनते हैं, भक्ति से श्री राधाजी का मंत्र जाप करने से उन्हें याद करने से मोक्ष मिलता है. श्रीमद देवी भागवत श्री राधा जी कि पूजा के बारे में कहा गया है कि श्री राधा की पूजा न की जाए तो भक्त श्री कृष्ण की पूजा का अधिकार भी नहीं रखता. श्री राधा भगवान श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं. लेकिन कई जगह मान्ताएं बदल जाती हैं. हमे सबका सम्मान करना चाहिए.

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