Family Guru Jai Madaan: एकादशी पर कौन सा उपाय करने से शादी पक्की हो जाएगी

Family Guru Jai Madaan: इंडिया न्यूज के खास शो फैमिली गुरु में जय मदान ने एकादशी व्रत के बारे में बताया है. और यह भी बताया है कि इस व्रत को करने से क्या लाभ होता है. एकादशी का व्रत बहुत लाभकारी और पुण्य देने वाला माना जाता है. कहा जाता है इस व्रत को करने से जल्दी शादी हो जाती है.

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Family Guru Jai Madaan: एकादशी पर कौन सा उपाय करने से शादी पक्की हो जाएगी

Aanchal Pandey

  • December 19, 2018 10:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. Family Guru Jai Madaan: इंडिया न्यूज के पॉपुलर शो फैमिली गुरु में एकादशी व्रत के बारे में बताया है. एकादशी का व्रत बहुत लाभकारी और पुण्य देने वाला माना जाता है. हर 11 वीं तारीख को एकादशी का व्रत किया जाता है। एक महीने में दो एकादशी व्रत आते है जिनमे से एक शुक्ल पक्ष में आता है और एक कृष्ण पक्ष में. माना जाता है इस व्रत को करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. लेकिन इस व्रत को करना इतना भी आसान नहीं होता. इस व्रत को दूसरे उपवासों की तरह केवल एक दिन के लिए नहीं रखा जाता बल्कि दो दिनों यानी लगभग 48 घंटों के लिए रखा जाता है. इस व्रत से एक दिन पहले भक्त केवल एक समय ही भोजन करते है. और एकादशी के दिन कठोर उपवास करते हैं जिसे एकादशी के अगले दिन सूर्योदय के बाद ही खोला जाता है. एकादशी व्रत में सभी तरह के अन्न का सेवन मना किया गया है.

अपने मन की शक्ति और शरीर के अनुसार, निर्जला, केवल पानी के साथ, केवल फलों के साथ या एक समय भोजन के साथ उपवास को रखते है. लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की सभी एकादशी उपवास एक ही तरीके से रखने चाहिए. अलग अलग तरह से उपवास रखना ठीक नहीं माना जाता है. कभी-कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है. जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तो पहले दिन एकादशी का व्रत करना चाहिए. दुसरे दिन वाली एकादशी को दूजी एकादशी कहा जाता हैं. मोक्ष प्राप्ति के लिए उपवास रखने वाले श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए. जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं.

एकादशी व्रत का पारण कैसे करना चाहिए आइए जानते हैं. एकादशी का व्रत पूरा करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है जिसे द्वादशी तिथि को करना जरुरी माना जाता है. एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है. व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना चाहिए. अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है. द्वादशी तिथि के रहते पारण ना करना अच्छा नहीं माना जाता.

इस व्रत का पारण हरी वासर के दौरान भी नहीं किया जाता. जो भक्त इस व्रत को करते है उन्हें व्रत खोलने से पहले वासर के समाप्त होने का इंतजार कर लेना चाहिए. व्रत खोलने के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा माना जाता है. दोपहर के वक्त व्रत के पारण से बचना चाहिए. अगर किसी वजह से आप सुबह व्रत का पारण नहीं कर पाए है तो दोपहर के बाद व्रत खोल सकते है.

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