दिवाली 2017: दिवाली पर इस तरह से पीतल आपको बनाएगा मालामाल

दिवाली में हफ्ता भर बाकी है और आपको पता है कि पीतल मालामाल कर सकता है. आप जानते हैं पूजा-पाठ और धार्मिक कामों के लिए पीतल के बर्तन ही क्यों प्रयोग करते हैं. दरअसल वेदों में पीतल के बर्तनों को भगवान धनवंतरी का बहुत प्रिय प्यारा बताया गया है.

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दिवाली 2017: दिवाली पर इस तरह से पीतल आपको बनाएगा मालामाल

Admin

  • October 12, 2017 6:29 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: दिवाली में हफ्ता भर बाकी है और आपको पता है कि पीतल मालामाल कर सकता है. आप जानते हैं पूजा-पाठ और धार्मिक कामों के लिए पीतल के बर्तन ही क्यों प्रयोग करते हैं. दरअसल वेदों में पीतल के बर्तनों को भगवान धन्वंतरि का बहुत प्रिय प्यारा बताया गया है. महाभारत में सूर्यदेव ने द्रौपदी को पीतल का बर्तन वरदान स्वरुप दिया था. जिसकी विशेषता थी कि जब तक द्रोपदी खुद उस बर्तन में भोजन नहीं कर लेती तब तक द्रौपदी चाहे जितने लोगों को भोजन करा दे खाना घटता नहीं था. दीवाली से पहले आपको पीतल के बर्तनो से जुड़ी खास जानकारी देते हैं जो इस दीवाली मालामाल बनाएगा.
 
ये हैं उपाय
  1. भाग्यौदय के लिए पीतल की कटोरी में चना दाल भिगोकर रात भर सिरहाने रखें और सुबह चना दाल पर गुड़ रखकर गाय को खिलाएं. 
  2. अटूट धन पाने के लिए पूर्णिमा के दिन भगवान श्री कृष्ण पर शुद्ध घी भरा पीतल का कलश चढ़ाकर किसी गरीब को दान करें. 
  3. लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पीतल के दिए में शुद्ध देसी घी के दीपक से “वैभव लक्ष्मी” की पूजा करें.
  4. दुर्भाग्य से मुक्ति पाने के लिए पीतल की कटोरी में दही भरकर कटोरी समेत पीपल के नीचे रखें। सौभाग्य पाने के लिए पीतल के कलश में चना दाल भरकर विष्णु मंदिर में चढ़ाएं
  5. घर में पीतल के बर्तन में खट्टे पदार्थ कभी न रखें
 

दिवाली 2017 में अब केवल एक ही सप्ताह शेष है, दिवाली को लेकर तैयारियां भी जोरो-शोरों से चल रही हैं. दिवाली साल का सबसे बड़ा त्योहार है. बता दें कि दिवाली केवल घरों की साफ-सफाई या नए कपड़े खरीदने का नहीं होता बल्कि कई मायनों में दिवाली बेहद ही खास होती है. व्यापारियों के लिए दिवाली बेहद खास होती है क्योंकि इसी दिन से नए बहीखाते में काम शुरू होता है. आज हम आपको बताएंगे कि कौन सा ऐसा शुभ मुहूर्त है जब नए बहीखाते खरीदना आपके लिए शुभ और लाभकारी साबित होगा. दिवाली 2017 से व्यापारियों का नया साल शुरू होता है, 13 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र के दिन व्यापारी विधि-विधान के साथ बहीखाते की खरीदारी करेंगे.
 
बहीखाता पूजन मुहूर्त  
व्यापार में बहीखाता पूजन का महत्व है, व्यापारी शुभ मुहूर्त में जहां बड़े पैमाने पर बहीखाता क्रय करते हैं वहीं उनका पूजन कर अपने व्यापार के नए वर्ष की भी शुरुआत करते हैं. 13 अक्टूबर- सुबह 8.36 से 10.51 बजे तक, दोपहर 12.36 से 3.41 बजे तक, शाम 5.11 से 6.15 बजे तक. 19 अक्टूबर- सुबह 6.41 से 8.01 बजे तक, सुबह 10.36 से 11.51 बजे तक, दोपहर 12.41 से 3.11 बजे तक, शाम 4.41 से 5.51 बजे तक और शाम 6.21 से 9.15 बजे तक.

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