इस मंत्र के साथ मां सिद्धिदात्री की करें पूजा और कन्या पूजन के समय ध्यान रखें ये बातें

मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नवरात्र में की जाती है. कन्याओं को माता का रूप माना जाता है. इसीलिए नौवें दिन कन्याओं को बुलाकर कन्या पूजन किया जाता है. इस दिन कन्याओं को भोजन करवाया जाता है और उपहार बांटे जाते हैं.

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इस मंत्र के साथ मां सिद्धिदात्री की करें पूजा और कन्या पूजन के समय ध्यान रखें ये बातें

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  • September 28, 2017 12:22 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नवरात्र में की जाती है. कन्याओं को माता का रूप माना जाता है. इसीलिए नौवें दिन कन्याओं को बुलाकर कन्या पूजन किया जाता है. इस दिन कन्याओं को भोजन करवाया जाता है और उपहार बांटे जाते हैं. 
 
 
पहला महाउपाय- क्या शादी के बरसों बाद भी गोद सूनी है ?
पीपल के पेड़ के चारों ओर पति-पत्नी एक महीने तक रोज 10-12 चक्कर लगाएं. चूंकि पीपल पर बृहस्पति और शुक्र की एनर्जी रहती है, इसलिए महीने बाद संतान प्राप्ति के योग बन जाते है. 
 
दूसरा महाउपाय – पैसा आता है लेकिन टिकता नहीं ?
कल कन्या पूजन के लिए जो कन्या आपके घर आएं आप उन्हे खीर और मिश्रि का प्रसाद जरुर बाटें और आने वाले 21 शुक्रवार तक आप 9 साल से कम कन्याओं को खीर और मिश्री का प्रसाद बाटें कभी पैसे की कमी नहीं होगी हमेशा बरकत बनी रहेगी.
 
तीसरा महाउपाय – क्या आपको पार्टनर से ब्रेकअप का डर है ? 
नारियल, धतूरे के बीज और कपूर को पीस लें. इसमें शहद मिलाएं, रोज इसका तिलक करें. जिसे आप प्यार करते हैं वह आपको कभी छोड़कर नहीं जाएगा.
 
चौथा महाउपाय- क्या आपकी लव लाइफ ठीक नहीं चल रही ? 
आप गोमती चक्र को लाल सिंदूर की डिब्बी में घर में रखें, इससे रिश्तों में मिठास बनी रहती है. घर में रोज घी का दीपक भी जलाना चाहिए, लेकिन ध्यान दें कि दीये की लौ/मुँह साउथ की तरफ रखकर जलाना है, तभी लाभ होगा.
 
पांचवा महाउपाय – क्या आप अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं हैं ?
आप कल शाम सिद्धिदात्री मंदिर जाकर मां को कदंब का फूल चढ़ाएं. अगर आपके आस पास में सिद्धिदात्री का मंदिर नही है तो आप मां दुर्गा को ये फूल चढ़ाएं. नौकरी में आपकी पोजिशन बदलने लगेगी.
 
कल मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए कैसे पूजन करें…
इस मंत्र के साथ आप मां सिद्धिदात्री की पूजा शुरु करें…..
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
 
आपने सभी नवरात्रों में माता की पूजा जैसे शुरु की है वैसे ही करें, कलश में विराजमान सभी देवी देवताओं को ध्यान कर उन्हे नमस्कार करें. मां के सामने दीपक जलाएं….मां को नौ कमल के फूल चढ़ाएं. इसके बाद मां को नौ तरह के प्रसाद का भोग लगाएं. भोग के प्रसाद में  तिल जरुर रखें. अब सब सामान रखकर मां के बीज मंत्र “ॐ ह्रीं दुर्गाय नमः” की एक माला जाप करें. प्रसाद को पहले गरीबों को खिलाएं और फिर उसे खुद खाएं. 
 
 
क्या आप जानते हैं कि पूजा का वास्तु कितना जरुरी है ?
आपने नवरात्र में पूरी श्रद्धा से माता की पूजा-अर्चना की लेकिन आपने कन्या पूजन करते हुए वास्तू का भी ख्याल रखा तो फिर ऐसी कोई वजह नहीं कि मां आपसे प्रसन्न ना हों, मां तक आपकी मुराद जरुर पहुंचेगी.
 
पूजा के समय पूर्व की तरफ मुंह करके मां का ध्यान करने से हमारी प्रज्ञा जागृत होती है. दक्षिण की ओर मुंह करके पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है और हमारा सीधा जुड़ाव माता से होता है. पूजा संबंधी सारा सामान पूजा घर के दक्षिण-पूर्व में रखें.

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