नई दिल्ली: महाष्टमी को महादुर्गाअष्टमी के मां से भी जाना जाता है. महा अष्टमी दुर्गा पूजा के महत्वपूर्ण दिनों में से एक है. नौ दिनों के इस पर्व में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है. महा अष्टमी वाले दिन मां गौरी की पूजा की जाती है.
इस दिन पूजा पाठ और विशेषतौर परा कन्या पूजन किया जाता है. नौ रातों का समूह यानी नवरात्रे की शुरूआत अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पहली यानी तारीख 21 सितंबर से हो चुकी है और 30 सितंबर दशमी वाले दिन ये पूर्ण होंगे.
सबसे पहले भगवान रामचंद्र ने समुंद्र के किनारे नौ दिन तक दुर्गा मां का पूजन किया था और इसके बाद लंका की तरफ प्रस्थान किया था. फिर उन्होंने युद्ध में विजय भी प्राप्त की थी, इसलिए दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है और माना जाता है कि अधर्म की धर्म पर जीत, असत्य की सत्य पर जीत के लिए दसवें दिन दशहरा मनाते हैं. मां दुर्गा नवरात्रि के दौरान कैलाश छोड़कर धरती पर आकर रहती हैं.
अष्टमी के दिन देवी के चार हाथों में से दो हाथ आशीर्वाद देने की मुद्रा में होते हैं और बाकि दो हाथों में डमरू और त्रिशूल रहता है. महागौरी सफेद अन्यथा हरी साड़ी में रहती हैं. दुर्गा अष्टमी के दिन देवी दुर्गा के हथियारों की पूजा की जाती है और हथियारों के प्रदर्शन के कारण इस दिन को लोकप्रिय रुप से वीराष्टमी के रुप में भी जाना जाता है.
दुर्गा अष्टमी के दिन भक्त दुर्गा मां की आराधना करते हैं. मां दुर्गा के पूजन के लिए लाल फूल, लाल चंदन, दिया और धूप आदि सामाग्रियों से उनका पूजन करते हैं. इस दिन घर के सभी लोग व्रत करते हैं और मां दुर्गा का पाठ करते हैं.
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