नई दिल्ली: आज से नौ दिन चलने वाले गुप्त नवरात्र शुरू हो गए हैं. शनिश्चरी अमावस्या से शुरू होने से इन नवरात्रों का महत्व और बढ़ गया है. अमावस्या के दिन श्रद्धालु नियत घाटों पर जाकर श्राद्ध तर्पण भी करेंगे. यह अमावस्या अनेक प्रकार से पुण्यदायी बन गई है.
ये नवरात्र आषाढ़ कृष्ण अमावस्या शनिवार को सुबह आठ बजे तक रहेगी और उसके बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी. फैमिली गुरु जय मदान के अनुसार उदय काल में प्रतिपदा का लोप होने से पहला गुप्त नवरात्र पड़ रहा है.
गुप्त नवरात्रों में तंत्र साधना, वन देवी पूजा, भैरव पूजा, योगिनी पूजा, कुब्जिका पूजा, यक्षिणी पूजा, तारा पूजा और त्रिपुर भैरवी पूजा का शास्त्रीय विधान है. यक्षणिनी साधना के समय अमावस्या युक्त शनि नवरात्र का विशेष महत्व है.
यदि राहु के नक्षत्र में शुरू हो तो तंत्र शास्त्र में इसे विशिष्ठ बताया गया है. इस बार की विशेषता यह है कि गुप्त नवरात्र का प्रारंभ शनिवार से हो रहा है और अष्ठमी तिथि भी शनिवार को ही पड़ेगी.
इन नवरात्रों में यदि प्रतिदिन भैरव मंदिर में जाकर तेल का दीपक जलाया गया और काले चनों का भोग लगाकर भैरव त्रोत कराया जाए तो राहु और शनि के प्रभाव नष्ट हो जाएंगे. शनि की ढहिया, साढ़े सती, अंर्तदशा, राहु की दशा आदि के लिए आषाढ़ पूर्णिमा तक पूजा करने से सभी प्रकार के संताप मिट जाते हैं.