नई दिल्ली: हमारे जीवन में जो भी अच्छा या बुरा हो रहा होता है उसके पिछे ग्रहों की चाल एक बड़ा कारण है. इन तमाम उतार चढ़ावों को रोकने के लिये और क्रोधित ग्रह को शांत करने के लिये धार्मिक व पौराणिक ग्रंथों में नव ग्रह यानि जीवन को प्रभावित करने वाले समस्त 9 ग्रहों की पूजा करने का विधान है.
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राशियां 12 होती हैं. प्रत्येक राशि में प्रत्येक ग्रह अपनी गति से प्रवेश करते हैं. इसे ग्रहों की चाल कहा जाता है एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने पर भी अन्य राशियों पर उसका सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. प्रत्येक जातक में प्रत्येक ग्रह के गुण भी पाये जाते हैं.
जैसे सूर्य से स्वास्थ्य, चंद्र से सफलता तो मंगल सम्रद्धि प्रदान करता है. इसी तरह से हर ग्रह के अपने सूचक हैं जो हमारे जीवन को कहीं ना कहीं प्रभावित करते हैं. मंत्रोच्चारण के जरिये इन ग्रहों को साधा जाता है और उनकी सही स्थापना की जाती है.
कमजोर ग्रहों का बल प्राप्त करने के लिये कुछ विशेष उपाय भी ज्योतिषाचार्यों द्वारा सुझाये जाते हैं. इस प्रक्रिया को नवग्रह पूजा या नवग्रह पूजन कहा जाता है.