नई दिल्ली: सिर में सहस्रार के स्थान पर चोटी रखी जाती है अर्थात सिर के सभी बालों को काटकर बीचोबीच के स्थान के बाल को छोड़ दिया जाता है. इस स्थान के ठीक 2 से 3 इंच नीचे आत्मा का स्थान है.
पौराणिक कहानियों में तो हम देखते-सुनते आ ही रहे हैं लेकिन वर्तमान समय में भी प्राय: पुरुषों को शिखा यानि चोटी रखे देखा जा सकता है. विशेषतौर पर ब्राह्मण वर्ग के लोग तो विशेषतौर पर आज भी सिर पर चोटी रखते हैं.
प्राचीन समय में सिर पर शिखा रखना इतना जरूरी था कि इसे आर्यों की पहचान तक मान लिया गया था.लेकिन यह सिर्फ एक मान्यता या परंपरा ही नहीं है वरन् इसे वैज्ञानिक तौर पर भी स्वीकृत किया गया है.
आज हम आपको वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बताएंगे कि सिर पर चोटी या शिखा रखना क्यों जरूरी माना गया है.सिर पर चोटी रखने का सबसे बड़ा और प्रमुख कारण है कि इस स्थान के सीधे नीचे सुषुम्ना नाड़ी होती है, जो कपाल तंत्र के अन्य खुली जगहों (मुंडन के समय) की अपेक्षा ज्यादा संवेदनशील भी होती है.
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