नई दिल्ली: महाशिवरात्रि को लेकर शिवालयों और अन्य जगहों पर तैयारियां शुरू हो गईं हैं. इस बार 24 फरवरी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा, अगले दिन अमावस्या तिथि का क्षय है, क्योंकि पर्व फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को ही मनाया जाता है.
माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी रात्रि को भगवान शकर का रूद्र के रूप में अवतरण हुआ था. प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव ताडव करते हुए पुरी सृष्टि को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते है, इसलिए इसे शिव रात्रि और काल रात्रि कहा गया है. इस दिन को शिव विवाह के रुप में भी मनाया जाता है. काल के भी काल महाकाल के व्रत का विशेष महत्व है.
यह व्रत ब्राह्माण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र नर नारी, बालक वृद्ध सबको करना चाहिए. यह व्रत करके रात्रि में जो व्यक्ति शिव पूजन करता वह देवतुल्य हो जाता है और उसे शिवत्व की प्राप्ति होती है. ऐसा व्यक्ति अकाल मृत्यु को प्राप्त नही होता. महाशिवरात्रि को लेकर शिवालयों और अन्य जगहों पर तैयारियां शुरू हो गईं हैं. इस बार 24 फरवरी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा.