नई दिल्ली. भारतीय ज्योतिष का एक प्रमुख अंग है, सामुद्रिक शास्त्र, जिसके द्वारा व्यक्ति के शारीर के विभिन्न अंगो की सरंचना के आधर पर फलकथन कहने की रीति प्रचलित है. इसी सामुद्रिक शास्त्र के द्वारा नारद आदि महर्षियों ने मनुष्यों के जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त तक की सभी बातों को जान लिया करते थे.
इस शास्त्र में मुख्यतः दो विषय होते हैं. 1-यदि किसी जातक की अंगुलियों में एक चक्र का निशान हो तो, वह मनुष्य चालाक तथा अवसर को भुनाने वाले होते है. ऐसे जातक अपने निहित स्वार्थ के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते है.
2- यदि किसी जातक की अंगुलियों में 2 चक्रों के निशान हो तो, ऐसे लोग सुन्दर, गुणवान, तथा समाज में प्रशंसा के पात्र होते है. इन लोगों को तमाम भौतिक वस्तुओं का सुख प्राप्त होता है.
3-यदि किसी जातक की अंगुलियों में 3 चक्रों के निशान हो तो, ऐसे मनुष्य अपना अधिकतर समय भोग-विलास में व्यतीत करते है. इनका पारिवारिक जीवन दुःखमय बना रहता है.
4-यदि किसी जातक की अंगुलियों में 4 चकोर निशान हो तो, वह व्यक्ति अपने कार्यो में निरन्तर संघर्ष करते है, परन्तु उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं हो पाती है. ऐसे लोग अपने जीवन में कई बार अपमान भी सहते है. इन लोगों का 50वर्ष के उपरान्त ही समय अच्छा होता है.
5-यदि किसी जातक की अंगुलियों में 5 चकोर के निशान हो तो ऐसे लोग अपनी विद्वता से समाज का कल्याण करते है. जैसे- सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक, अधिवक्ता, कथावाचक आदि होते है.