मौली या कलावा बांधने का क्या अर्थ है? हिंदू धर्म में कई रीति-रिवाज तथा मान्यताएं हैं. इन रीति-रिवाजों तथा मान्यताओं का सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक पक्ष भी है, जो वर्तमान समय में भी एकदम सटीक बैठता है.
नई दिल्ली. मौली या कलावा बांधने का क्या अर्थ है? हिंदू धर्म में कई रीति-रिवाज तथा मान्यताएं हैं. इन रीति-रिवाजों तथा मान्यताओं का सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक पक्ष भी है, जो वर्तमान समय में भी एकदम सटीक बैठता है.
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हिंदू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्म यानि पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन आदि के पूर्व ब्राह्मण द्वारा यजमान के दाएं हाथ में कलावा/मौली बांधी जाती है. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करते समय या नई वस्तु खरीदने पर हम उसे कलावा/मौली बांधते है ताकि वह हमारे जीवन में शुभता प्रदान करे.
कलावा/मौली कच्चे सूत के धागे से बनाई जाती है. यह लाल रंग, पीले रंग, या दो रंगों या पांच रंगों की होती है. इसे हाथ गले और कमर में बांधा जाता है. इंडिया न्यूज के शो फैमिली गुरु में जय मदान बताएंगी चमत्कारी कलावा बांधने का क्या अर्थ है? वीडियो पर क्लिक कर देखिए पूरा शो