मुंबई: आप जीवन की हर घटना और हर स्थिति से कुछ न कुछ सीखते हैं. चलेया… केसरिया… और झूमे जो पठान जैसे कई गाने गाने वाले गायक अरिजीत सिंह ने भी बचपन में उनके साथ जो हुआ उससे बहुत कुछ सीखा है, और उसके बाद उनकी पूरी मानसिकता बदल गई है. दरअसल अरिजीत ने मुझे […]
मुंबई: आप जीवन की हर घटना और हर स्थिति से कुछ न कुछ सीखते हैं. चलेया… केसरिया… और झूमे जो पठान जैसे कई गाने गाने वाले गायक अरिजीत सिंह ने भी बचपन में उनके साथ जो हुआ उससे बहुत कुछ सीखा है, और उसके बाद उनकी पूरी मानसिकता बदल गई है. दरअसल अरिजीत ने मुझे एक घटना के बारे में बताया जब मैं 10वीं कक्षा में था. मेरे 3 दोस्त थे, और हमे लैब में जाना था और वहां किए जा रहे प्रयोगों को देखना अच्छा लगता था.एक दिन एक और दोस्त आया और उसने कहा कि मुझे एक खाली लैब मिली है. जहां कोई नहीं होता है, वही वो अपना निजी लैब होगा.
गायक अरिजीत सिंह ने कहा कि एक दोस्त ने कहा कि मेरे साथ चलो. बिना कुछ सोचे हम तीनों दोस्त अपनी बाइक लेकर उसके पीछे चल दिए है. दअरसल जंगल जैसी जगह थी, बड़ी दीवार थी. हम उस पर चढ़े और आगे बढ़े, और वहाँ एक बड़ा कमरा था, रोशनी थी और एक बड़ी मेज थी. वहां बड़े-बड़े इंजेक्शन रखे हुए थे, हमने उनमें पानी भर लिया और पिचकारी से खेलने लगे.उन्होंने कहा कि हमारे शोर मचाने पर कुछ लोग वहां जमा हो गये थे. उन्होंने प्रिंसिपल को बुलाया. एक दिन पहले इसी स्थान से कई प्लेटें गायब थीं, और वे हमें दोष दे रहे थे.हालांकि वो एक बंद पड़ा अस्पताल था, जिसके ऑपरेशन थिएटर को हम लैब समझ रहे थे, और हमें तो लगा अब सब खत्म हो गया है.
बता दें कि किसी और ने चोरी की थी. हालांकि उस दिन मैंने ये सीखा कि किसी को आंखें बंद करके फॉलो नहीं कर सकता हूं. मुझे अपने आपको फॉलो करना होगा, और अपने नियम खुद बनाने होंगे.
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