नई दिल्ली: Gujarati film Chhello Show In Oscar 2023: पिछले कुछ समय से ऑस्कर 2023 को लेकर लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक था कि आखिर वह कौन सी फिल्म होगी, जो ऑस्कर में भारत की तरफ से एंट्री करने वाली है। आपको बता दें कि छेल्लो शो (Chhello Show) बेस्ट मूवी के लिए ऑफिशियली जाने वाली फिल्म बन गई है।
इसका इंग्लिश टाइटल “लास्ट फिल्म शो” है। इस फिल्म ने कई बड़ी फिल्मों को पछाड़ा है। अब लोग जानना चाहते हैं कि आखिर क्या वजह है कि एफएफआई (Film Federation of India) ने भारत की ओर से आधिकारिक रूप से 95वें अकादमी पुरस्कारों के लिए गुजराती फिल्म “छेल्लो शो” को चुना।
अगर आपने पैरासाइट देखी है तो आपके लिए जानना आसान हो जाएगा कि फिल्म को ऑस्कर के लिए क्यों भेजा जा रहा है। फिल्म पैरासाइट कोरियन फिल्म थी जिसकी कहानी ही उसकी नींव थी। अब फिल्म छेलो शो की कहानी ही उसकी ताकत है। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि ऑस्कर के लिए फिल्म आरआरआर को भेजा जाना चाहिए क्योंकि इस फिल्म के विदेशों में भी चर्चा है। इसे लेकर एफएफआई की खूब आलोचना भी हो रही है।
इसे लेकर एफएफआई ने सफाई भी दी थी कि क्यों उन्होंने आरआरआर को नहीं चुना और छेल्लो शो को चुना। उनका कहना है कि किसी फिल्म को ऑस्कर के लिए भेजना उसकी लोकप्रियता नहीं हो सकती। इसमें कोई शक नहीं है कि आरआरआर फिल्म अच्छी है। लेकिन उन्हें तो सिर्फ एक ही फिल्म चुननी थी तो किसी फिल्म को निराश तो होना ही था।
Film Federation of India के हेड का कहना है कि वो ऑस्कर के लिए ऐसी फिल्म को चुनना चाहते थे जो इंडिया को अलग नजरिए से दिखाती है। उनके मुताबिक इस फिल्म का आइडिया जबरदस्त था। साथ ही उनका कहना है कि इस फिल्म को दुनिया के किसी भी कोने में दिखाएंगे तो इसे लोग आसानी से कनेक्ट कर पाएंगे। ये फिल्म बच्चों को भी पसंद कर पाएगी। फिल्म की कहानी आपका दिल छू लेगी।
छेल्लो शो समय नाम के एक लड़के की कहानी है, जो रेलवे स्टेशन पर चाय बेचता है। उसके पिता की स्टेशन पर चाय की दुकान है। समय कास्टेशन के पीछे थोड़ी ही दूरी पर खेतों के बीच एक कच्चा मकान है, जिसमें उसका पूरा परिवार रहता है।
समय को फ़िल्में देखने का बेहद शौक होता है वहीं उसके पिता को फिल्मों से नफरत होती है। लेकिन एक दिन उसे पता चलता है कि उसके पापा सबको फिल्म दिखाने शहर लेकर जा रहे हैं। तो उसे पता चलता है कि यह एक धार्मिक फिल्म है इसलिए वह लोग फिल्म देखने शहर जा रहे हैं। थिएटर में समय के पिता उसे बताते हैं कि फिल्में देखना सही नहीं है इसलिए यह उसके जीवन का पहला और आखिरी शो है, जिसे वो देखने आए हैं।
समय के लिए फिल्म देखने का यह पहला और आखिरी अनुभव उसकी पूरी जिंदगी बदल देता है। यहीं से शुरू होती है फिल्म की दिलचस्प कहानी। कहनी कई लेयर्स खोलती है और हर एक लेयर एक नई तरह की कहानी लेकर आती है। जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है वैसे-वैसे आपको समझ में आएगा कि समय की कहानी सिनेमाघरों से जुड़ी है।
समय को कहानियां सुनना और सुनाना बहुत पसंद होता है। वह स्टेशन पर चाय बेचने के बाद पटरियों पर घूम-घूमकर माचिस की डिब्बियां बीन कर डिब्बियों पर बने चित्रों के जरिए एक कहानी तैयार करता है जिसे वो अपने साथियों को सुनाता है। लेकिन जब समय थिएटर में फिल्म देखने जाता है तो उसे सिनेमाघर की उस तकनीक से अलग तरह का जुड़ाव हो जाता है। वहीं कहानी पूरी जानने के लिए तो आपको फिल्म देखनी होगी।
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