नई दिल्ली: 2002 के गोधरा कांड पर आधारित फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ ने पत्रकारिता में सच और झूठ के बीच की लकीर को दर्शाया है। इस हादसे में साबरमती एक्सप्रेस की दो बोगियों में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं ये फिल्म राजनीति और मीडिया के पहलुओं को उजागर करती […]
नई दिल्ली: 2002 के गोधरा कांड पर आधारित फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ ने पत्रकारिता में सच और झूठ के बीच की लकीर को दर्शाया है। इस हादसे में साबरमती एक्सप्रेस की दो बोगियों में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं ये फिल्म राजनीति और मीडिया के पहलुओं को उजागर करती है।
फिल्म की शुरुआत गोधरा कांड की घटना से होती है, जहां राम भक्त साबरमती एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे होते हैं। फिल्म के मुख्य किरदार समर कुमार यानी विक्रांत मैसी, जो एक हिंदी मीडियम पत्रकार है. वह अपनी रिपोर्टिंग के दौरान सच्चाई का सामना करता है। शुरुआत में समर, राज फिल्म की एक प्रेस स्क्रीनिंग में ओछे सवाल पूछकर विवाद में फंसता है। हालांकि बाद में, गोधरा की रिपोर्टिंग के दौरान वह सच्चाई उजागर करने की कोशिश में लग जाता है।
आगे की कहानी दिखाया गया कि समर की रिपोर्ट चैनल तक पहुंचने के बाद भी, उसकी आवाज़ को दबा दिया जाता है और झूठी खबरें प्रसारित की जाती हैं। इस घटना के बाद समर को नौकरी से निकाल दिया जाता है, जिसके बाद उसे शराब की लत लग जाती है। वहीं की कहने में 5 साल का लीप आता है और एक बार फिर से समर को सच सामने लाना का मौका मिलता है। इस बार वह चैनल की नई रिपोर्टर अमृता गिल यानी राशी खन्ना के साथ गोधरा कांड के सच का पता लगाते है.
धीरज सरना के निर्देशन में बनी इस फिल्म में तथ्यों के साथ कुछ छेड़छाड़ देखने को मिलती है। फिल्म में गोधरा कांड के वक्त एक महिला मुख्यमंत्री को दिखाया गया है, जो वास्तविकता से अलग है। विक्रांत मैसी ने अपने किरदार को बखूबी निभाया, लेकिन कैरेक्टर की कमजोर लिखावट उनके प्रभाव को कम करती है। ऋद्धि डोगरा एक सीनियर पत्रकार के रोल में बेहतरीन नजर आ रही हैं, वहीं राशी खन्ना ने अपने किरदार को भी बखूबी निभाया है।
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