Vikrant Massey Interview: विक्रांत मैसी ने कही दिल की बात ,टीवी एक्टर को फिल्मवाले करते है जलील

नई दिल्लीः छोटे पर्दे से निकल कर अभिनेता विक्रांत मैसी ने हिंदी फिल्मों में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है। विक्रांत मैसी का मानना है कि छोटे पर्दे के एक्टर को फिल्मों में गंभीरता से नहीं लिया जाता है। वह खुद को भाग्यशाली समझते कि हिंदी फिल्मों में उन्हें सिनेमा के दिग्गज निर्देशकों के […]

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Vikrant Massey Interview: विक्रांत मैसी ने कही दिल की बात ,टीवी एक्टर को फिल्मवाले करते है जलील

Sachin Kumar

  • October 21, 2023 4:08 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्लीः छोटे पर्दे से निकल कर अभिनेता विक्रांत मैसी ने हिंदी फिल्मों में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है। विक्रांत मैसी का मानना है कि छोटे पर्दे के एक्टर को फिल्मों में गंभीरता से नहीं लिया जाता है। वह खुद को भाग्यशाली समझते कि हिंदी फिल्मों में उन्हें सिनेमा के दिग्गज निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिला है। विक्रांत मैसी की अगली फिल्म ’12 वी फेल’ 27 अक्तूबर को देखने को मिलेगी।

‘लुटेरा’ आपकी पहली फिल्म है, छोटे परदे से बड़े परदे की छलांग कैसी रही

इंडस्ट्री से अचानक फिल्मों में आया तो मेरे लिए कैमरे से लेकर सब कुछ बड़ा था। टीवी शूटिंग के दौरान 50-60 लोगों की यूनिट होती थी और फिल्मों में एक साथ 200 लोग सेट पर होते हैं। सब लोग फर्राटेदार अंग्रेजी में बात कर रहे होते थे और तब अंग्रेजी में मेरा हाथ काफी तंग था। टीवी एक्टर को फिल्मवाले बहुत जलील करते हैं। मैं यह नहीं कहता कि मेरे साथ वहां ऐसा हुआ, लेकिन आम तौर पर ऐसा होता है। लोग सोचते हैं कि लोखंडवाला (मुंबई के अंधेरी पश्चिम का एक इलाका, जहां संघर्षशील कलाकार रहते हैं) का एक्टर है, बॉडी बना कर घूमते रहते हैं, बस। मेरे लिए चुनौती ये थी कि बस खुद को साबित करना है। जो काम मिला है, उसे पूरी ईमानदारी के साथ बखूबी करना है।

फिल्म ‘राम प्रसाद की तेरहवीं’ में नसीरुद्दीन शाह के साथ किया काम

इससे पहले नसीर साहब के साथ मैंने एक शॉर्ट फिल्म ‘हाफ फुल’ की थी। वह तो अपने आप में एक्टिंग की एक संस्था है। शूटिंग के दौरान उनको दूर से देखते थे। जब वह डायरेक्टर से सीन के बारे में डिस्कस करते थे, तो क्या डिस्कस कर रहे हैं, उसे ध्यान से सुना किया करते थे। इससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इस फिल्म में सबसे छोटा मैं ही था। नसीर साहब के अलावा विनय पाठक, मनोज पाहवा, सुप्रिया पाठक जी के साथ काम करके एक एक्टर के तौर पर बहुत कुछ सीखने को मिला मुझे।

फिल्म ‘छपाक’ में काम करते हुए क्या सीखा ?

‘छपाक’ बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर आधरित फिल्म रही थी। इस फिल्म में मेघना गुलजार के निर्देशन में काम करने का मौका मिला। निर्देशन की कला उनको अपने पिता गुलजार साहब से उपहार में मिली है। दीपिका पादुकोण के साथ इस फिल्म में काम करने से पहले मेरे मन में ऐसी छवि थी कि वह बहुत बड़ी स्टार हैं। लेकिन जब आप करीब से देखते हैं, तो लगता कि कितनी मेहनत करते हैं ये कामयाब सितारे। इतनी आसानी से किसी को सफलता नहीं मिलती है। वह मेकअप मिलाकर 16-17 घंटे काम करती थीं। काम के प्रति उनका समर्पण देखने को मिला।

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