नई दिल्ली: हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है। राज्य ने फिल्म उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिभाशाली व्यक्तियों को जन्म दिया है। हाल ही में राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उत्तराखंड के प्रमुख फिल्म निर्माताओं की अनुपस्थिति ने जनता के बीच चर्चा और जिज्ञासा पैदा कर दी है।
उत्तराखंड से आने वाले फिल्म जगत के एक प्रमुख व्यक्ति जितेंद्र ने इस अनुपस्थिति पर अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि, हाल के दिनों में उनकी क्रियाओं में कमी के कारण वह कई फिल्म निर्माताओं के साथ, धामी के कार्यक्रम में उपस्थित नहीं थे। इस अनुपस्थिति ने सवाल खड़े कर दिए हैं और फिल्म निर्माताओं के साथ राज्य की भागीदारी पर चिंतन शुरू कर दिया है।
इस तरह के आयोजन में फिल्म निर्माताओं की अनुपस्थिति से उत्तराखंड सरकार और कला या कलाकारों से संबंधित विषयों पर गहरी चर्चा छिड़ती है। राज्य कार्यक्रम में इन फिल्म निर्माताओं की अनुपस्थिति की वजह से सरकार और राज्य के बीच तालमेल की कमी की ओर इशारा करती है। इसके अलावा, अपनी कमी के बारे में जितेंद्र द्वारा की गई टिप्पणी एक बड़े मुद्दे पर प्रकाश डालती है।
जितेंद्र का बयान न केवल सरकार के लिए बल्कि फिल्म निर्माताओं के लिए भी कार्रवाई के रूप में कार्य करता है, ताकि वे क्षेत्र की प्रतिभा और क्षमता को दिखाने में और अधिक शामिल हो सकें। उत्तराखंड में फिल्म उद्योग के लिए एक संपन्न वातावरण बनाने के लिए दोनों ओर से एक ठोस प्रयास की आवश्यकता है।
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