Uri The Surgical Strike Movie Review: उरी द सर्जिकल स्ट्राइक की कहानी शुरू होती है 2015 की म्यांमार सर्जिकल स्ट्राइक से जिसे मेजर विहान सिंह शेरगिल (विकी कौशल) और मेजर करण (मोहित रैना) कामयाबी से अंजाम देते हैं. मेजर विहान इस ऑपरेशन के बाद डिमेंशिया से जूझ रही अपनी मां की देखभाल के लिए दिल्ली रहना चाहता है, आर्मी से प्री मैच्यौर रिटायरमेंट मांगता है, लेकिन दिल्ली में उसकी तैनाती कर दी जाती है.
फिल्म- उरी : द सर्जिकल स्ट्राइक
निर्देशक – आदित्य धर
कलाकार- विक्की कौशल, यामी गौतम, परेश रावल, मोहित रैना
स्टार रेटिंग- 3
बॉलीवुड डेस्क, मुंबई. जब इस मूवी का ऐलान हुआ था तो माना जा रहा था कि 11 जनवरी को रिलीज हो रही दोनों फिल्में उरी और एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर कहीं ना कहीं चुनावी एजेंडे का हिस्सा हैं, लेकिन ‘उरी’ को देखकर आपकी ये राय गलत ही साबित होगी. मूवी में मोदी भी हैं, पर्रिकर भी, राजनाथ सिंह और जेटली भी, साथ में अजीत डोभाल भी. लेकिन पूरी मूवी में कहीं भी मोदी का नाम तक नहीं लिया, और एनएसए अजीत डोभाल का नाम भी गोविंद रखा गया है। इमोशंस भी आर्मी परिवारों के ही दिखाए गए हैं, आम जनता में उठने वाली राष्ट्रवाद की लहरों और पक्ष विपक्ष के हंगामों से परहेज रखा गया है, एक हॉलीवुड टाइप की कट टू कट एक आर्मी ऑपरेशन फिल्म है, जिसमें इंडियन स्टाइल का इमोशनल तड़का है.
कहानी शुरू होती है 2015 की म्यांमार सर्जिकल स्ट्राइक से जिसे मेजर विहान सिंह शेरगिल (विकी कौशल) और मेजर करण (मोहित रैना) कामयाबी से अंजाम देते हैं. मेजर विहान इस ऑपरेशन के बाद डिमेंशिया से जूझ रही अपनी मां की देखभाल के लिए दिल्ली रहना चाहता है, आर्मी से प्री मैच्यौर रिटायरमेंट मांगता है, लेकिन दिल्ली में उसकी तैनाती कर दी जाती है. उरी का अटैक जब मेजर करन की जान ले लेता है, तो मेजर विहान सर्जिकल स्ट्राइक की कमान संभालता है क्योंकि अब लड़ाई देश की नहीं दिल की भी हो गई थी. उसके बाद ये ऑपरेशन कैसे अंजाम दिया जाता है, कैसे टेक्नीकल और पॉलटिकल सपोर्ट से मेजर विहान के जज्बे से बिना किसी सैनिक को खोए भारत एक कड़ा संदेश पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर बदला लेता है, उसे पूरे देश ने देखा ही था. सो ऐसे में विवेक ओबेरॉय से पहले रजत कपूर को पीएम मोदी को पहली बार ब़ड़े परदे पर जीने का क्रेडिट चला गया है और काफी हद तक वो बेहतर लगे भी हैं.
मोदी के संकट मोचक अजीत डोभाल के रोल में परेश रावल अजीत का एक नया रूप दिखाते हैं, जो टेंशन भरी हर कॉल के बाद अपना मोबाइल फोन तोड़ देता है. विकी कौशल एक खांटी सैनिक के रोल में हैं और उन्होंने हमेशा की तरह इसे बखूबी निभाया है, रोमांटिक रिश्ते रखने की इजाजत उन्हें डायरेक्टर ने नहीं दी, सो थोड़ी कमी जरूर महसूस हुई. मोहित रैना महादेव के रोल से निकलकर एक छोटे से रोल में खुद को बखूबी दर्ज करा पाए हैं, यामी गौतम और कीर्ति कुल्हाड़ी भी अलग किस्म के रोल में हैं, सख्त लहजे वाले किरदारों में, उनकी वजह से मूवी में विजुअल रिलीफ भी मिलता है. बाकी पूरी मूवी परेश रावल और विकी कौशल के कंधों पर हैं. डायरेक्टर आदित्य धर ने धार बनाए रखने की पूरी कोशिश की है, चूंकि कहानी सबको पता थी, सो थोड़ा बहुत किरदारों और ऑपरेशन की तैयारी में ही कुछ कमाल किया जा सकता था, जो उन्होंने किया भी है.
खासतौर पर गरुण द्रोण वाली घटना, या परेश रावल से कई मोबाइल फोन तुड़वाकर, विकी कौशल की मां, बहन और भांजी से जुड़े इमोशंस वाले सींस जोड़कर. मूवी में जो एक दो गाने हैं, मूवी की धार और रफ्तार को देखते हुए ठीक ही लगते हैं, वैसे भी अब बॉर्डर का युग नहीं रहा है.हालांकि मूवी में रिसर्च की कमी साफ दिखती है, सर्जिकल स्ट्राइक करने वाली टीम ने इंटरव्यूज में बताया था कि टीम ने चार दिन पहले भी पीओके में उन आतंकी कैम्पों की रेकी की थी और पूरा रूट देखकर वो वापस भी आ गए थे भनक तक नहीं लगी थी किसी को, उन्होंने पीओके में तेंदुओं के मूत्र का भी इस्तेमाल किया था ताकि रात में कुत्ते उस गंध के चलते उन पर अटैक ना करें। ऐसे कई दिलचस्प वाकयों को जोड़कर मूवी को और भी दिलचस्प बनाया जा सकता था, क्योंकि पूरी फिल्म में थोड़ी देर छोड़कर बाकी वक्त फायरिंग होते देख बहुत लोगों को ये मूवी बोर भी लग सकती है.