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Thugs Of Hindostan Movie Review : आमिर खान- अमिताभ बच्चन की ठग्स ऑफ हिंदुस्तान पर पूरे हिंदुस्तान की नजर, पढ़ें मूवी का रिव्यू

Thugs Of Hindostan Movie Review : आमिर खान, अमिताभ बच्चन, कैटरीना कैफ और फातिमा सना शेख ठग्स ऑफ हिंदोस्तान में क्या खास हैं और कितने फॉरमूले विक्टर ने इसमें डाले हैं, शिप माल्टा आइलैंड में बनवाए गए, तीन महीने एक पोंड यानी आर्टीफीशियल पोंड में शूटिंग भी हुई, थाइलैंड में आजाद का ठिकाना एक बड़ी और शानदार गुफा में बनाया गया, वहीं शूटिंग हुई तो क्लाइमेक्स जोधपुर के मेहरान गढ़ किले में हुआ. ज्यादातर फाइटिंग सींस शिप्स पर हुए. इसके अलावा आमिर के किरदार को जैक्स पैरो से लिया गया, पाइरेट्स ऑफ कैरेबियन के जॉनी डेप का किरदार, वैसा ही लुक और फितरत भी वैसी.

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thugs of hindostan movie review
  • November 8, 2018 2:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

फिल्म – ठग्स ऑफ हिंदोस्तान

कलाकार- आमिर खान, अमिताभ बच्चन, कैटरीना कैफ, फातिमा सना शेख

स्टार – 2

नई दिल्ली. Thugs Of Hindostan Movie Review : आमिर- अमिताभ की पहली फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ आज रिलीज हो गई है. हालांकि मौका अच्छा है, चार दिनों का छुट्टियों का वीकेंड मिला है, इतने बड़े सितारे हैं, इतनी स्क्रीन्स पर देश विदेश में रिलीज हो रही है तो फिल्म कमाई तो कर लेगी लेकिन वो क्रिटिकल एक्लेम मिलना मुश्किल है, जो आमिर की पिछली फिल्मों दंगल, पीके या थ्री ईडियट्स को मिला है. वैसे भी इस मूवी के डायरेक्टर विजय कृष्ण आचार्य फॉरमूले एप्लाई करने के किंग माने जाते हैं, इसमें भी किए हैं, जैसे पिछली फिल्मों टशन और धूम 3 में किए थे, जाहिर था उनकी कहानी ऐसी थी और इस कहानी में इमोशंस की जरुरत थी, जहां मात खा गए विक्टर यानी विजय कृष्ण आचार्य.

फिल्म की कहानी है एक रियासत रौनकपुर की जहां के राजा मिर्जा (रोनित रॉय) को एक अंग्रेजी अफसर क्लाइव उसकी, उसके बेटे और पत्नी की हत्या करके कब्जा कर लेता है, लेकिन बेटी (सना शेख) को कटप्पा की तरह एक वफादार सिपाहसलार खुदाबक्श बचाकर ले जाता है औऱ फिर बाहुबली की तरह राज को फिर से वापस लाने के लिए एक गुफा में वो अपना ठिकाना बनाते हैं, आर्मी बनाकर अंग्रेजी सेना को छोटी मोटी मुठभेड़ों में मात देते हैं और इस पूरी फौज का नाम रखा जाता है-आजाद. आजाद को पकड़ने की जिम्मेदारी दी जाती है उस डबल एजेंट मुखबिर फिरंगी मल्लाह (आमिर खान) को जो कभी ठगों को धनी सेठों की इनफॉरमेशन देकर उनसे कमीशन लेता है, कभी ठगों की इनफॉरमेशन अंग्रेजों को देकर उनसे कमीशन लेता है. फिरंगी एक नाचने वाली सुरैया (कैटरीना कैफ) का दीवाना भी है। वो आजाद गैंग में शामिल होकर उन्हें एक जगह फंसा भी देता है. उसके बाद की कहानी के लिए आपको मूवी हॉल में जाना पड़ेगा.

अब जानिए मूवी में क्या खास हैं और कितने फॉरमूले विक्टर ने इसमें डाले हैं, शिप माल्टा आइलैंड में बनवाए गए, तीन महीने एक पोंड यानी आर्टीफीशियल पोंड में शूटिंग भी हुई, थाइलैंड में आजाद का ठिकाना एक बड़ी और शानदार गुफा में बनाया गया, वहीं शूटिंग हुई तो क्लाइमेक्स जोधपुर के मेहरान गढ़ किले में हुआ. ज्यादातर फाइटिंग सींस शिप्स पर हुए. इसके अलावा आमिर के किरदार को जैक्स पैरो से लिया गया, पाइरेट्स ऑफ कैरेबियन के जॉनी डेप का किरदार, वैसा ही लुक और फितरत भी वैसी. ये अलग बात है कि बाद मे खबर आई कि श्रीकृष्ण की तरह जॉनी का किददार छलिया और रणछोड़दास बना था, आमिर के किरदार को गधे पर बैठा दिया गया और माउथ ऑरगन की जगह बाकायदा बांसुरी थमा दी गई, वैसे फिल्म की रिलीज भी गोवर्धन वाले दिन हुई है.

एक और फॉरमूले के रुप में कैटरीना कैफ थीं, जो फिल्म में बस दो गानों में नाचने और दो सीन ही करने आई थीं. तीन गाने सुरैया जान लोगी क्या, मंजूरे खुदा और वशमिले अच्छे बन पड़े हैं, काफी मेहनत भी हुई. क्लाइव का नाम भी इस्तेमाल किया गया, एक नए किरदार में जबकि क्लाइव 1776 में ही मर गया था. आमिर का किरदार रहस्मयी बनाया गया, जो हर वक्त सस्पेंस रखता है.बावजूद इसके फिल्म में वो मजा नहीं आता जो दंगल या थ्री ईडियट में आता है. उसको समझने पड़ेगा कि टशन और धूम थ्री में भी इमोशंस ऐसे नहीं थे, विक्टर की ये कमी है, जबकि ब्रिटिश रियासत के खिलाफ जंग के लिए क्रांति और मर्द जैसी फिल्म की जरुरत थी. हर सीन और गाने में या तो देशभक्ति का जज्बा टपकता है या फिर रोमांस, वो भी संगीनों के साए में. क्रांति का अगले बरस तुझे धरती की रानी कर देंगे की जगह बशमिला या मंजूरे खुदा नहीं ले सकता, उसी तरह जिंदगी की ना टूटे लड़ी की जगह सुरैया जान लोगी क्या, नहीं हो सकता. कहीं भी दर्शक इस मूवी को उस तरह से नहीं देख पाता कि उसे अंग्रेजों पर गुस्सा आए. इसी तरह एक भी सीन इमोशनल हद तक रोमांटिक नहीं है.

रही सही कसर स्क्रिप्ट ने पूरी कर दी, क्रांति और मर्द जैसी फिल्मों की स्क्रिप्ट ज्यादा बेहतर थी, बाहुबली की भी, जहां अपनों से ही राजपाट वापस लेने की जंग होती है. फिल्म में ठगी जैसा कुछ नहीं था, लेकिन फिल्म के टाइटिल को बनाए रखने के लिए जबरन वो डायलॉग्स या सीन रखे गए जिनसे फिल्म के टाइटिल को सही ठहराया जा सके. एक लाइन की सीथी स्क्रिप्ट में जानबूझकर लोचे रखे गए, सो फिल्म के आखिरी सीन में अंग्रेजी राज खत्म होने पर एक दर्शक इमोशनल नहीं होता, यही विक्टर और आमिर की हार है. ये अलग बात है कि आमिर खान के फैंस को फिल्म पसंद आएगी, उनकी एक्टिंग वाकई काबिले तारीफ है. दंगल में उनकी बेटी बनने वाली सना शेख पर वो लाइन मारते इस मूवी में नजर आए, ये भी आसान नहीं था, धूम थ्री के बाद आमिर फिर से एक पॉजीटिव टच वाला नेगेटिव किरदार करना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने विक्टर पर भरोसा किया, लेकिन वो खरे नहीं उतरे. 

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