मुंबई: इस महीने की शुरुआत हो चुकी है. बता दें कि थिएटर पर कोई बड़ी फिल्में रिलीज नहीं हुईं है लेकिन उनका हाल बहुत बुरा ही रहा है लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म की बात करें तो यहां मौसम हमेशा खुशगवार ही बना रहता है. कहने का मतलब ये है कि ओटीटी की दुनिया में कोई-ना-कोई वेब […]
मुंबई: इस महीने की शुरुआत हो चुकी है. बता दें कि थिएटर पर कोई बड़ी फिल्में रिलीज नहीं हुईं है लेकिन उनका हाल बहुत बुरा ही रहा है लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म की बात करें तो यहां मौसम हमेशा खुशगवार ही बना रहता है. कहने का मतलब ये है कि ओटीटी की दुनिया में कोई-ना-कोई वेब सीरीज या मूवी रिलीज होती ही रहती है. हालांकि ओटीटी पर सीधे रिलीज का रास्ता तलाशने वाली फिल्मों को भी अब बॉक्स ऑफिस के रास्ते वहां तक पहुंचना पड़ रहा है और इस बदली परिस्थिति का फायदा उठाने के लिए अब फिर लौट रहा है. बता दें कि डायरेक्ट टू टीवी का जमाना है. हालांकि पहले वीएचएस कैसेटों के दौर में खूब सारी फिल्में सिर्फ घरों में ही सीधे पहुंचती थी और फिर टेलीविजन के लिए भी बहुत अच्छी-अच्छी फिल्में बनीं है लेकिन फिर डिजिटल ने सारा खेल बदल दिया है लेकिन बता दें कि समय चक्र अपनी गति से चलता है और खुद को दोहराता भी है.
इस अवसर पर अनुराग कश्यप ने कहा कि ‘मैं भी ऐसी फिल्में बनाना चाह रहा था, लेकिन मेरे पास पैसे लगाना वाला कोई नहीं था. अभिनव जब ये फिल्म बनाकर मेरे पास लाया तो मैं फिल्म देखकर बहुत आश्चर्यचकित था और अभिनव ने बहुत अच्छी फिल्म बनाई है. बता दें कि फिल्म ‘सब मोह माया है’ के ट्रेलर में दिखाया गया है कि, बेटा अपने बाप से कहता है कि जीते जी तो कुछ किए नहीं अब मर कर ही हमारा कुछ भला कर दो. इस फिल्म के विषय पर चर्चा करते हुए अनुराग कश्यप ने कहा है, ‘मैं बनारस में पढ़ा हूं और मेरे पिता जी पावर हाउस में काम करते थे, तब मैंने वहां देखा है कि जब किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो अनुकंपा में उसके परिवार वालों को नौकरी मिल जाती है. हालांकि जो शहर में पैदा हुए है उनको अनुकंपा नियुक्ति के बारे में तो पता नहीं होगा’.
ये फिल्म थियेटर में रिलीज ना होकर जी अनमोल चैनल पर रिलीज हो रही है. बता दें कि अनुराग कश्यप कहते हैं कि ‘थियेटर में फिल्में रिलीज करने के लिए जितने एक्सपोजर की जरूरत होती है. उतनी ही एक्सपोजर छोटी फिल्मों को भी थियेटर में रिलीज करने के लिए होती है. और मैं तो फिल्म मेकर हूं, बिजनेस का गणित मेरे समझ में बिलकुल नहीं आता है. बता दें कि अनुराग कश्यप कहते हैं कि ‘जो फिल्में अच्छी होती है वो चल जाती हैं तो चाहे वो ओटीटी पर रिलीज हो थियेटर या फिर चैनल पर हो और ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ ओटीटी पर रिलीज हुई है. बता दें कि इस फिल्म को सबसे ज्यादा देखा गया है. इसका फायदा निर्माता,निर्देशक और अभिनेता को भी मिला है.
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