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श्याम बेनेगल की ये 6 फिल्म, जो समाज को दिखाती हैं आईना

श्याम बेनेगल भारतीय सिनेमा का एक बड़ा नाम हैं, जिन्हें शायद ही किसी परिचय की जरूरत है। वह अपनी फिल्मों के जरिए कई संवेदनशील विषयों को दर्शकों के सामने उजागर करते रहे। तो आइए एक नजर डालते हैं बेनेगल की टॉप फिल्मों पर।

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These 6 films of Shyam Benegal,
  • December 23, 2024 9:07 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 hours ago

नई दिल्ली : श्याम बेनेगल भारतीय सिनेमा का एक बड़ा नाम हैं, जिन्हें शायद ही किसी परिचय की जरूरत है। अपनी कलात्मक फिल्मों के लिए मशहूर श्याम बाबू की फिल्मों का एक अलग ही फ्लेवर होता है। वह एक बेहतरीन फिल्ममेकर हैं और सिनेमा प्रेमी उनकी फिल्मों को खूब पसंद करते हैं। वह अपनी फिल्मों के जरिए कई संवेदनशील विषयों को दर्शकों के सामने उजागर करते रहे। तो आइए एक नजर डालते हैं बेनेगल की टॉप फिल्मों पर।

90 वां जन्मदिन मनाया

शयाम बेनेगल का इस दुनिया को अलविदा कह जान पूरे फिल्म जगत के लिए एक बड़ी क्षति मानी जा रही है। शयाम बेनेगल ने 23 दिसंबर को शाम 6: 30 बजे आखरी सांस ली। हाल ही में उन्होंने अपना 90 वां जन्मदिन मनाया था। अभिनेत्री शबाना आज़मी ने इस पार्टी की तस्वीरें अपने इंस्टाग्राम पर शेयर की हैं। फोटो में शबाना और नसीरुद्दीन शाह के साथ श्याम बेनेगल मुस्कुराते और हंसते नजर आ रहे हैं। निर्देशक का जन्म 14 दिसंबर को हुआ था।

अंकुर

श्याम बेनेगल ने 1974 में आई फिल्म ‘अंकुर’ से निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा था। आलम यह था कि अपनी पहली ही फिल्म से उन्हें तीन राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। इस फिल्म में उन्होंने सामंतवाद और यौन उत्पीड़न जैसे ज्वलंत मुद्दों को उजागर किया था।

मंडी

फिल्म का नाम ‘मंडी’ नाम से ही आपको फिल्म के विषय का अंदाजा हो जाता है। यह फिल्म समाज की उन महिलाओं की कहानी है जो जीवन यापन के लिए अपना शरीर बेचती हैं और इसका संबंध वेश्यालय से भी है। फिल्म में शबाना आजमी, स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह मुख्य भूमिका में नजर आए थे। वहीं इसकी कहानी एक उर्दू लघुकथा से प्रेरित थी। कैसे एक-एक वेश्यालय पर उंगली उठाने वाले लोग उसी वेश्यालय में जाकर छिप जाते हैं, यह फिल्म समाज के इसी चेहरे को उजागर करती है। यह साल 1983 में बनी थी। श्याम बाबू की फिल्म मंडी को राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया था। इस फिल्म को आप प्राइम वीडियो पर देख सकते हैं।

कलयुग

दो परिवारों के बीच व्यापार को लेकर दुश्मनी को दिखाने वाली फिल्म ‘कलयुग’ को ‘महाभारत’ से प्रेरित कहानी माना गया था। दरअसल, इसे आज के आधुनिक युग की महाभारत के रूप में दर्शकों के सामने पेश किया गया था। इस फिल्म में राज बब्बर, शशि कपूर, सुप्रिया पाठक, अनंत नाग, रेखा, कुलभूषण खरबंदा, सुषमा सेठ जैसे दिग्गज कलाकार मौजूद थे। यह श्याम बेनेगल की बेहतरीन फिल्मों में से एक थी। यह फिल्म 1981 में रिलीज हुई थी।

जुबैदा

साल 2001 में आई फिल्म जुबैदा में करिश्मा कपूर, मनोज बाजपेयी, रेखा जैसे दिग्गज कलाकारों से सजी फिल्म है। यह श्याम बेनेगल की बेहतरीन फिल्मों में से एक है। यह एक अलग तरह की प्रेम कहानी थी, जिसमें जुबैदा (करिश्मा कपूर) और महाराजा विजेंद्र सिंह (मनोज बाजपेयी) एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं। हालांकि विजेंद्र सिंह पहले से ही महारानी मंदिरा देवी (रेखा) से शादीशुदा थे, लेकिन फिर भी वह अपने दिल को जुबैदा के प्यार में पड़ने से नहीं रोक पाए।

यह कहानी जितनी सीधी-सादी लग रही है, उतनी है नहीं। इस कहानी में कई मोड़ आए जो आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेंगे। इस फिल्म के गाने भी काफी अच्छे थे। आप इस फिल्म को जी5 पर देख सकते हैं।

भूमिका

यह फिल्म एक लोकप्रिय मराठी अभिनेत्री की कहानी पेश करती है। कैसे अलग-अलग पुरुष उसके जीवन में प्रवेश करते हैं और उसके जीवन में कई बदलाव आते हैं। यह श्याम बेनेगल की सबसे बेहतरीन और प्रभावशाली फिल्मों में से एक रही है। इसमें अमोल पालेकर, स्मिता पाटिल, अनंत नाग, अमरीश पुरी और नसीरुद्दीन शाह जैसे कलाकार मुख्य भूमिकाओं में थे। यह फिल्म साल 1977 में सिनेमा घरों में रिलीज हुई थी।

निशांत

साल 1975 में आई फिल्म निशांत ग्रामीण भारत की कहानी है जब लोग न्याय के लिए लड़ने से डरते थे। कैसे उच्च वर्ग के लोग गांव के लोगों का शोषण और उत्पीड़न करते थे और वे बस असहाय होकर अत्याचार सहते रहते थे, यही इस फिल्म की कहानी है। इस फिल्म में शबाना आज़मी, गिरीश कर्नाड, नसीरुद्दीन शाह, अनंत नाग, अमरीश पुरी, स्मिता पाटिल जैसे कलाकार थे। इस फिल्म ने खूब तारीफ बटोरी और शिकागो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन प्लेक अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।

साल 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित

श्याम बेनेगल की फिल्मों का स्तर काफी ऊंचा है और यही वजह है कि उनकी फिल्मों को पसंद करने वालों की एक अलग श्रेणी है। उनकी कलात्मक फिल्मों की खूबसूरती को एक अच्छा सिनेमा प्रेमी ही पहचान सकता है। बेहतरीन कहानी के साथ समाज का आईना दिखाने वाली श्याम बाबू की फिल्में अनूठी और लाखों में एक होती थी। बेनेगल को 1976 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री और 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उनकी सफल फिल्मों में मंथन, जुबैदा और सरदारी बेगम शामिल हैं।

 

 

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