विद्रोह हो जाएगा! इस टीवी शो से इतनी डर गई केंद्र सरकार, जबरदस्ती बंद करवा दिया

नई दिल्ली: फिल्मों और टीवी शो का विवादों में फंसना कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब बात सरकार की आती है, तो यह और भी दिलचस्प हो जाता है। ऐसा ही एक टीवी शो था ‘रजनी’, जो 1985 में आया और इसने तत्कालीन सरकार को इतना परेशान कर दिया कि इसे बंद कराने का आदेश दे दिया गया। शो में शाहरुख़ खान और सुभाष घई जैसे दिग्गजों ने कैमियो भी किया था।

‘रजनी’ का परिचय

‘रजनी’ नाम का यह शो सुनने में साधारण लगता है, लेकिन इसकी कहानी ने सरकार की नींद उड़ा दी। शो की कहानी करण राजदान ने लिखी और इसका निर्देशन बासु चटर्जी ने किया। मुख्य भूमिका प्रिया तेंदुलकर ने निभाई, जो प्रसिद्ध लेखक और पॉलिटिशियन विजय तेंदुलकर की बेटी थीं। प्रिया का योगदान आज भी लोगों को याद है।

शो की कहानी और विवाद

‘रजनी’ की कहानी एक साधारण, लेकिन साहसी महिला रजनी के इर्द-गिर्द घूमती है। प्रिया ने इस किरदार को जीवंत किया, जो आम जनता की परेशानियों के खिलाफ खड़ी होती है। शो ने 1980 के दशक में सरकारी दफ्तरों की लापरवाहियों को उजागर किया और दिखाया कि कैसे रजनी विभिन्न सेवाओं में समस्याओं का सामना कर रही जनता की मदद करती है।

टैक्सी ड्राइवरों और गैस डिस्ट्रीब्यूटर्स का विरोध

जैसे-जैसे शो की लोकप्रियता बढ़ी, इसके खिलाफ भी विरोध शुरू हुआ। मुंबई में ऑल इंडिया LPG डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन और लगभग 500 टैक्सी ड्राइवरों ने शो के खिलाफ प्रदर्शन किया। उनका आरोप था कि शो में उनकी छवि को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। कहा जाता है कि शो के कारण टैक्सी व्यवसाय में 10 फीसदी की गिरावट आई।

सरकार की प्रतिक्रिया

शो की बढ़ती लोकप्रियता से घबराकर सरकार ने इसे एक साल भी नहीं चलने दिया। करण राजदान ने बताया कि शो ने 13 एपिसोड पूरे करने के बाद ही सरकार ने इसे बंद कराने का आदेश दे दिया। यह वाकई दुखद था कि एक सफल शो को इस तरह से समाप्त किया गया।

शो में बदलाव और प्रिया तेंदुलकर की भूमिका

शुरुआत में शो में बॉलीवुड एक्ट्रेस पद्मिनी कोल्हापुरे को कास्ट किया गया था, लेकिन बाद में प्रिया तेंदुलकर को मौका मिला। करण राजदान ने शो में प्रिया के पति का किरदार निभाया और आगे जाकर वे उनके जीवनसाथी भी बने।

प्रिया का योगदान और विरासत

प्रिया तेंदुलकर ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता। वे लंबे समय तक ब्रेस्ट कैंसर से जूझती रहीं और 19 सितंबर 2002 को उनका निधन हो गया। उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है, खासकर ‘रजनी’ के जरिए जो न केवल मनोरंजन बल्कि समाज के मुद्दों पर भी ध्यान आकर्षित करता था।

इस प्रकार, ‘रजनी’ ने न केवल एक कहानी प्रस्तुत की, बल्कि समाज की वास्तविकताओं को भी उजागर किया, जिसके चलते यह शो विवादों में आ गया और सरकार की चिंता का कारण बना।

 

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