मुंबई: हॉलीवुड में करीब 5 महीने तक चली लेखकों की हड़ताल और इसमें उन्हें कलाकारों और अन्य तकनीशियनों का समर्थन मिलने से हुई जीत की प्रतिध्वनि अब मुंबई से संचालित होने वाली हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी सुनाई दे दी है. बता दें कि एक लंबे समय से मुंबई के लेखक स्टूडियो और ओटीटी प्लेटफार्मों […]
मुंबई: हॉलीवुड में करीब 5 महीने तक चली लेखकों की हड़ताल और इसमें उन्हें कलाकारों और अन्य तकनीशियनों का समर्थन मिलने से हुई जीत की प्रतिध्वनि अब मुंबई से संचालित होने वाली हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी सुनाई दे दी है. बता दें कि एक लंबे समय से मुंबई के लेखक स्टूडियो और ओटीटी प्लेटफार्मों से मिलने वाले उनसे दुर्व्यवहार की शिकायतें करते आ रहे हैं.
मुंबई में हाल ही में हुई 100 से अधिक हिंदी फिल्म लेखकों की इस बैठक में सभी एक साथ आने और संघर्ष के लिए तैयार रहने की जरूरत पर बात की है. हालांकि ये बैठक लेखकों की ट्रेड यूनियन स्क्रीनराइटर्स एसोसिएशन (एसडब्ल्यूए) के जरिये बुलाई गई थी, और इस बैठक में श्रीराम राघवन (अंधाधुन), सुजॉय घोष (कहानी), सुमित अरोड़ा (फिल्म-जवान), अश्विनी अय्यर तिवारी (फिल्म-बरेली की बर्फी), श्रीधर राघवन (फिल्म-पठान), हर्षवर्धन कुलकर्णी (फिल्म-बधाई दो), सुदीप शर्मा (वेब सीरीज-पाताल लोक) और अब्बास टायरवाला (फिल्म-पठान) समेत कई जाने-माने लेखकों की मौजूदगी के चलते इसकी गूंज पूरी इंडस्ट्री में महसूस की गई है.
बता दें कि इस खास अवसर पर पर एसडब्ल्यूए की अनुबंध समिति के अध्यक्ष अंजुम रजबअली ने साफ़ शब्दों में कहा कि “अब ‘बस!’ कहने का समय अब आ चूका है, और हमारा काम उचित पारिश्रमिक का हकदार है, और हम लेखक अपनी इज्जत, हमें अपने पेशे के प्रति मौजूदा गलत मानसिकता को तोड़ना ही होगा”. क्योंकि हम सभी इज़्ज़त के हक़दार है.
Manoj Bajpayee: ‘फैमिली मैन 3’ को लेकर मनोज बाजपेयी ने नई जानकारी की साझा