मुबई: अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के तीसरे दिन बुधवार की शुरुआत मणिपुरी फिल्म एंड्रयू ड्रीम्स से हुई है. ये भारतीय पैनोरमा की गैर फीचर फिल्म की श्रेणी में है. बता दें कि एंड्रयू ड्रीम्स जीवन की कठिनाईयों और चुनौतियों के खिलाफ लड़ने वाली लाइबी और उनके फुटबॉल क्लब की लड़कियों के सच्ची जीवन की कहानी है. […]
मुबई: अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के तीसरे दिन बुधवार की शुरुआत मणिपुरी फिल्म एंड्रयू ड्रीम्स से हुई है. ये भारतीय पैनोरमा की गैर फीचर फिल्म की श्रेणी में है. बता दें कि एंड्रयू ड्रीम्स जीवन की कठिनाईयों और चुनौतियों के खिलाफ लड़ने वाली लाइबी और उनके फुटबॉल क्लब की लड़कियों के सच्ची जीवन की कहानी है.
3 दशक पुराने इस क्लब की कहानी एक छोटे से अखबार में छपी, जिसमें राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मीना लोंग जाम को प्रेरित किया है. जिसके चलते जाम ने इसे सिल्वर स्क्रीन पर जीवंत किया है. बता दें कि उनकी कहानी उन्हें सुना नहीं गया और 63 मिनट की ये फिल्म भारतीय पैनोरमा में गैर फीचर फिल्म खंड की शुरुआत कर रही है. इस कहानी का चित्रण का नेतृत्व महिला निर्देशक, निर्माता और कलाकार की त्रिमूर्ति ने किया है.
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आर्चीज मेड इन इंडिया के सत्र में 6 बार की फिल्म फेयर पुरस्कार विजेता जोया अख्तर इस फिल्म से जुड़ीं और बातें शेयर कीं है. हालांकि जोया ने कहा कि बचपन से भारतीय बच्चों के मन और मस्तिष्क पर गहरा असर छोड़ने वाली इस कॉमिक्स को फिल्म में बदलना बहुत बड़ी चुनौती थी,और इसे सिनेमा में दिखाने के लिए कई प्रयोगों को व्यवस्थित किया है. बता दें कि आर्ची कॉमिक्स के सीईओ जॉन गोल्ड वाटर ने कहा कि उनके लिए ये गर्व की बात है कि भारत में कॉमिक्स के पात्र अभी भी जीवित है.
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