श्रेया की अपकमिंग फिल्म द सन राइज इन द वेस्ट भी उनकी इसी सोच को आगे बढ़ाता है जहां वो अपनी आधुनिक सोच और भारतीय संस्कृति को एक साथ कुछ सवाल उठा रही हैं. फिल्म द सन राइज इन द वेस्ट को लॉस एंजेलिस कैलिफोर्निया के इंडी शॉर्ट फिल्म में बेस्ट स्टूडेंट शॉर्ट फिल्म का अवार्ड मिल चुका है.
नई दिल्ली: गुजरात के अहमबाद में पली-बढ़ीं श्रेया झा अपनी मेहनत और लगन से आज एक सफल फिल्मोग्राफर हैं और अब वो लेखक और निर्देशक बनने की कोशिश कर रही हैं. अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहने वाली श्रेया का रूझान शुरू से ही फिल्मों में था. मात्र 14 साल की उम्र में श्रेया के भीतर फिल्म मेकिंग को लेकर गजब का जज्बा था. उन्होंने इतनी छोटी से उम्र में ही एक लघु मनोवैज्ञानिक फिल्म लिखी और उसका निर्देशन किया.
इसके बाद से श्रेया ने कभी मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक कई ड्रामा सीरियल की मेकिंग का हिस्सा रहीं जैसे द सन राइज इन द वेस्ट-2020, फ्री एट लास्ट-2019. श्रेया की फिल्मों की खास बात ये है कि उनकी फिल्मों के किरदार आम जिंदगी से प्रेरित होते हैं जिन्हें अपने सपने और अपने परिवार में से किसी एक का चुनाव करना पड़ता है. श्रेया मानती हैं कि सिनेमा को सच्चाई के करीब होना चाहिए क्योंकि आखिरकार सिनेमा हमारे समाज का आइना ही हो तो होता है.
श्रेया की अपकमिंग फिल्म द सन राइज इन द वेस्ट भी उनकी इसी सोच को आगे बढ़ाता है जहां वो अपनी आधुनिक सोच और भारतीय संस्कृति को एक साथ कुछ सवाल उठा रही हैं. फिल्म द सन राइज इन द वेस्ट को लॉस एंजेलिस कैलिफोर्निया के इंडी शॉर्ट फिल्म में बेस्ट स्टूडेंट शॉर्ट फिल्म का अवार्ड मिल चुका है. ये फिल्म पिछले साल अहमदाबाद में शूट की गई थी. फिल्म में अंकित गौर औऱ निश्मा सोनी है. ये फिल्म 15 साल की लड़की कोमल की कहानी है जो एक अमीर घर में मेड का काम करती है. कोमल प्रतिभाशाली स्टूडेंट है लेकिन उसकी गरीबी उसे अपने सपने पूरे करने से रोकती है. फिल्म में दिखाया गया है कि किसी को अपने सपने पूरे करने के लिए अपना घर क्यों छोड़ना पड़ता है.
इंडिया न्यूज से बात करते हुए श्रेया ने फिल्म के प्रोडक्शन को लेकर अपना अनुभव साझा किया. द सन राइज इन द वेस्ट को रालेघ स्टूडियो हॉलीवुड कैलिफोर्निया में रेड कार्पेट प्रिमियर मिलने वाला है.