नई दिल्ली: फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ 5 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। 2 मई को फिल्म के मेकर्स ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में इसकी स्क्रीनिंग की थी। फिल्म की रिलीज से पहले ही विवाद शुरू हो गया था। इस बारे में फिल्म के निर्माता विपुल शाह ने कहा कि फिल्म देखने […]
नई दिल्ली: फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ 5 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। 2 मई को फिल्म के मेकर्स ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में इसकी स्क्रीनिंग की थी। फिल्म की रिलीज से पहले ही विवाद शुरू हो गया था। इस बारे में फिल्म के निर्माता विपुल शाह ने कहा कि फिल्म देखने से पहले ही तय कर लिया जाता है कि यह एक प्रोपेगैंडा फिल्म है। एक इंटरव्यू में ‘द केरल स्टोरी’ के प्रोड्यूसर विपुल शाह से पूछा गया कि क्या यह प्रोपेगेंडा फिल्म है। इसके जवाब में विपुल ने कहा, ‘मुझे लगता है कि जब लॉजिकल बहस खत्म हो जाती है तो यह कहना बहुत आसान हो जाता है कि यह एक प्रोपगंडा फिल्म है।
जो भी कह रहा है कि यह प्रोपेगैंडा फिल्म है, उनमें से किसी ने भी अभी तक यह फिल्म नहीं देखी है। इस फिल्म को देखने से पहले ही तय हो जाता है कि यह एक प्रोपगेंडा फिल्म है।” फिल्म की कहानी के बारे में बात करते हुए विपुल शाह ने कहा कि यह एक सच्ची कहानी पर आधारित है। उन्होंने कहा: “यह तीन लड़कियों की कहानी है। इनमें से एक अफगानिस्तान की जेल में है। एक ने आत्महत्या कर ली। गैंगरेप के बाद एक अंडरग्राउंड हो चुकी है। फिल्म का हर सीन सच है। हम सब कुछ साबित कर सकते हैं।”
विपुल शाह ने आगे कहा कि हमें लगा कि हम अच्छी क्वालिटी की फिल्म बना रहे हैं। हमने फिल्म के लिए सब कुछ खुद किया। उन्होंने कहा: “यह बहुत दुख की बात है कि हम सिक्योरिटी लेकर घूम रहे है। हम जानते हैं कि JNU में विरोध हो रहा है लेकिन हमने फिर भी JNU में फिल्म दिखाई।” फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को ‘द कश्मीर फाइल्स’ से कम्पेयर किया जा रहा है। इस बारे में बात करते हुए विपुल शाह ने कहा, ‘मुझे लगता है कि फिल्म की सबसे बड़ी सफलता तब होगी जब लड़कियां सतर्क होंगी। पूरे देश में इस पर बहस होनी चाहिए और इस पर काम होना चाहिए। हम लव जिहाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहते, क्योंकि यह एक राजनीतिक शब्द बन जाता है।
विपुल अमृतलाल शाह ने भले ही कहा हो कि हम सब कुछ साबित कर सकते हैं लेकिन उन्होंने ऐसा सबूत नहीं दिया। इससे पहले फिल्म के टीजर में भी 32,000 लड़कियों को पीड़ित बताया गया था। सबूत मांगने के बाद इसका जिक्र ट्रेलर से गायब हो गया। साथ ही YouTube वीडियो के डिस्क्रिप्शन से भी 32 हज़ार वाली बात को हटा लिया गया। आपको बता दें, फिल्म प्रोपेगेंडा है या नहीं इसका फैसला दर्शक करेंगे। लेकिन सबूत के नाम पर महज़ बाते की जा रही है कोई दे नहीं रहा है।