The Kashmir Files: फिल्म पर क्यों हो रहा इतना बवाल, क्यों दर्द में भी हो रहा हिन्दू-मुस्लिम

The Kashmir Files नई दिल्ली, मात्र 6 करोड़ रुपये में बनी द कश्मीर फाइल्स ( The Kashmir files) ने बिना किसी बहुत बड़े स्टार कास्ट और मसाला के बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा कर रख दिया है. पिछले 3 दिनों से ये फिल्म सोशल मीडिया पर भी छाई हुई है, हर जगह इसी के चर्चे […]

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The Kashmir Files: फिल्म पर क्यों हो रहा इतना बवाल, क्यों दर्द में भी हो रहा हिन्दू-मुस्लिम

Aanchal Pandey

  • March 14, 2022 6:10 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

The Kashmir Files

नई दिल्ली, मात्र 6 करोड़ रुपये में बनी द कश्मीर फाइल्स ( The Kashmir files) ने बिना किसी बहुत बड़े स्टार कास्ट और मसाला के बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा कर रख दिया है. पिछले 3 दिनों से ये फिल्म सोशल मीडिया पर भी छाई हुई है, हर जगह इसी के चर्चे हो रहे हैं, कोई फिल्म की तारीफ कर रहा है तो कोई फिल्म के कंटेंट को सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाला बता रहा है. कोई फिल्म को टैक्स फ्री करने की मांग कर रहा है तो कोई बैन करने की बात कर रहा है. इसे देखते हुए फिल्म को लेकर राजनीति भी गरमा गई है. इस फिल्म को लेकर देश के तथाकथित लिबरल्स और तथाकथित राष्ट्रवादियों ( Liberals vs Nationalist) ने भी मोर्चा खोल रखा है. देश भर में बहुत कम स्क्रीन्स मिलने के बाद भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा रही है.

क्या फिल्म में एक ही वर्ग को दिखाया गया?

इस फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि इसमें सिर्फ एक ही वर्ग को दिखाया गया है, लेकिन ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है कि कश्मीर की कहानी किसी हिंदी फिल्म के केंद्र में है. इससे पहले भी बॉलीवुड में कई फिल्में आतंकवाद से ग्रस्त कश्मीर को आधार बनाकर बनाई गई हैं. ‘रोजा’, ‘मिशन कश्मीर’, ‘फिजा’ और ‘फना’ जैसी कई फिल्में रिलीज हुईं, जिनमें आतंकवाद से ग्रस्त कश्मीर को केंद्र में रखकर दिखाया गया है. इन फिल्मों में दिखाया गया है कि कश्मीर में आतंकवाद किस तरह से अपनी पैठ बना चुका है, लेकिन इन फिल्मों में कश्मीरी पंडितों के पलायन और उनपर अत्याचार को कभी फोकस नहीं किया गया और न ही ऐसा कुछ दिखाया गया, इसलिए अब लिबरल गैंग इस फिल्म से सहमत नहीं हो पा रही क्योंकि इसमें कश्मीरी पंडितों को दिखाया गया है.

फिल्म को लेकर विवाद इतना बढ़ गया है कि इसमें दर्द को भी दो हिस्सों में बाँट दिया गया है, कश्मीरी पंडितों और कश्मीरी मुस्लिमों के दर्द को बांटा जा रहा है, सवाल उठाए जा रहे हैं कि कश्मीरी मुस्लिमों का दर्द कश्मीरी हिन्दुओं से कहीं ज्यादा है, लेकिन अब फिल्म की असल तिपानी करने का हक़ तो जनता के पास ही है.

 

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